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दुनिया के हर इंसान के मन में कभी न कभी यह प्रश्न उठता है कि आखिर जीवन और मृत्यु का रहसय क्या है? जब भी मन में मृत्यु का ख्याल आता है, तो रोमांचित हो जाते है. आखिर यह मृत्यु है क्या ? क्या होता है मरने के बाद ? मृत्यु के बिषय में दुनिया भर में अलग- अलग तरह की बाटे और मान्यतायें प्रचलित है.
इस तरह की मान्यताओं और धारणाओं में से अधिकांश काल्पनिक मनघढ़ंत एवं झूठी होती है. किन्तु समय- समय पर इस दुनिया में कुछ ऐसे तत्वज्ञानियों एवं योगियो ने जन्म लिया है. जिन्होंने अपने जीवन कल में में ही इस महत्वपूर्ण गुथी को सुलझाया है. ऐसे आत्मज्ञानी महापुरुष समाधी के उच्च स्तर पर पहुंच कर समय के बंधन से मुक्त हो जाते है. यानि कि कालातीत हो जाते हैं. इस कालातीत अवस्था में पहुंचकर वे यह आसानी से जान जाते है कि मृत्यु से पहले जीवन क्या था ?और मृत्यु के बाद जीवन की गति क्या होती है.
ऐसे ही पहुंचे हुए सिद्ध योगियों का स्पष्ट कहना है, कि काल की तरह जीवन भी असीम और अनंत है. जीवन का न तो कभी प्रारम्भ होता है और नहीं कभी अंत. लोग जिसे मृत्यु कहते है वह मात्र उस शरीर का अंत है. जो प्रकृति के पांच तत्वों प्रथ्वी ,जल,वायु अग्नि और आकाश से मिलकर बना था. ऐसा माना जाता है कि मानव शारीर नश्वर है. जिसने जन्म लिया है उसे एक न एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते है. भले ही मनुष्य या कोई अन्य जीवित प्राणी सौ वर्ष या उससे भी अधिक क्यों न जी ले, लेकिन अंत में उसे अपना शारीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना ही होता है.
जय प्रकाश ठाकुर
शिव कुमार मिश्र
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