- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
चंद्रयान-2 पर आई नई रिपोर्ट: चांद की सतह पर कैसे गिरा था विक्रम लैंडर
नई दिल्ली। चंद्रयान 2 से संपर्क टूटने के बाद भले ही करोड़ों भारतीयों के दिलों में उदासी छागई हो लेकिन इस बात पर हर किसी को गर्व है कि भारत ने जो किया वो आज तक कोई नहीं कर सका। हर भारतीय को इसरो के वैज्ञानिकों और उनकी काबलियत पर हमेशा गर्व रहेगा। जिस वक्त चंद्रयान से संपर्क टूटा वह चांद की सतह छूने से महज दो किलोमीटर दूर था।
हालांकि चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' के दुर्घटनाग्रस्त की जांच रिपोर्ट में यह नई बात सामने आई है। कीआखिरी वक्त में चांद की सतह पर उतारने के लिए 50 डिग्री कोण पर घुमाने की कोशिश हुई थी। लेकिन इसकी गति अधिक होने के कारण एक झटके में यह 410 डिग्री घूम गया और कलाबाजी खाते हुए चांद की सतह पर जा गिरा।
चंद्रयान-2 मिशन के असफल होने के कारणों की जांच के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने कुछ समय पूर्व अंतरिक्ष आयोग को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि विक्रम की गति को नियंत्रित नहीं कर पाने में सबसे बड़ी चूक हुई।
चांद से करीब 30 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर 'विक्रम' जब आर्बिटर से अलग हुआ तो इसकी गति 1680 मीटर प्रति सेकेंड थी। इसमें चार इंजन लगे हुए थे जिन्हें बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से नियंत्रित किया जा रहा था। लैंडर जब चांद के सात किलोमीटर निकट तक पहुंचा, तब तक और सब तो ठीक था, लेकिन इसकी गति पर अपेक्षित नियंत्रण नहीं किया जा सका।
'विक्रम' जब चांद के दक्षिणी ध्रुव के निर्धारित उतरने के स्थल से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था, तब इसकी गति कम होकर 146 मीटर प्रति सेंकेंड आ गई। यानी करीब 500 किलोमीटर प्रतिघंटा। यह रफ्तार लैंडिंग के हिसाब से बहुत ज्यादा थी। तय योजना के तहत गति को अब तक काफी कम हो जाना चाहिए था। इसे कम करने की कोशिश लगातार हो रही थी।
दूसरे, विक्रम टेढ़ा भी हो गया था, जिसे 50 डिग्री घुमाने की जरूरत थी। तभी यह सतह पर खड़ा होने की स्थिति में होता। इसी तेज गति में जब इसे सीधा करने की कोशिश के तहत 50 डिग्री घुमाया गया था तो वह अनियंत्रित हो गया और एक झटके में 410 डिग्री घूम गया। यानी एक पूरा चक्कर खाने से भी ज्यादा घूम गया। तेज गति और इस पलटी से यह पूरी तरह से अनियंत्रित होकर चांद की सतह पर जा गिरा।
इसरो ने विक्रम की लैंडिंग के लिए शुरुआती 15 मिनट बेहद खतरनाक बताए थे। शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था। विक्रम की गति को भी काफी हद तक कम कर लिया गया था और उसके सभी चारों इंजन भी सही से काम कर रहे थे। लेकिन बाद में अचानक से विक्रम से मिलने वाले डाटा रुक गए, और इसरो वैज्ञानिकों का डर सही साबित हुआ।
बतादें कि भारत के चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का 7 सितंबर 2019 की रात को इसरो मुख्यालय से संपर्क उस वक्त टूट गया जब वह चांद की सतह से केवल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था। भारतीय वैज्ञानिकों का मनोबल न टूटे इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो मुख्यालय पहुंचकर वैज्ञानिकों का हौसला आफजाई किया। इसरो की ओर से घटना के बारे में उस समय विस्तार से जानकारी दी गई थी।