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आज है टीचर्स डे, पढ़ें डॉ राधाकृष्णन के ये अनमोल विचार
नई दिल्ली। आज पूरे देश में टीचर्स डे मनाया जा रहा है. हर साल टीचर्स डे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मजदिवस यानी कि 5 सितंबर को मनाया जाता है. डॉ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे. उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है.
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राजनीति में आने से पहले करीब 30 सालों तक अध्यापन का कार्य किया. भारतीय शिक्षा क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का अहम योगदान रहा है. भारत में जहां 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय टीचर्स डे 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। छात्र इस महत्वपूर्ण दिन को कई तरीकों से सेलिब्रेट करते हैं. 1954 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया. साल 1975 में 17 अप्रैल को एक लंबी बीमारी के कारण सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया. आज हम आपको डॉ राधाकृष्णन के ऐसे ही प्रेरणादायक विचारों के बारें में बताने जा रहे हैं, जो आज भी और आगे भी लोगों को उनके जीवन में प्रेरित करते रहेंगे।
1: हमें मानवता की उन नैतिक जड़ों को जरुर याद करना चाहिए जिनसे अच्छी व्यवस्था और स्वतंत्रता दोनों बनी रहे।
2: मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय अगर 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जायेगा तो मैं अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करूँगा।
3: ऐसा कहा जाता है कि धर्म के बिना आदमी उस घोड़े की तरह है जिसमे पकड़ने के लिए लगाम न हो।
4: राष्ट्र, व्यक्तियों की तरह है, उनका निर्माण केवल इससे नहीं होता है कि उन्होंने क्या हासिल किया बल्कि इससे होता है कि उन्होंने क्या त्याग किया है.
5: जो मानव जीवन हमारे पास है वह मानव जीवन का सिर्फ कच्चा माल है जैसा कि इसे होना चहिये।
6: सचमुच ऐसा कोई बुद्धिमान नहीं है जो स्वयं को दुनिया के कामकाज से अलग रख कर इसके संकट के प्रति असंवेदनशील रह सके।
7: आध्यात्मिक जीवन भारत की प्रतिभा है।
8: धर्म डर पर जीत है और निराशा और मौत का विनाशक है।
9: मानव की प्रकृति स्वभाविक रूप से अच्छी है और ज्ञान के फ़ैलाने से सभी बुराइयों का अंत हो जायेगा।
10: मानव का दानव बनना उसकी हार है. मानव का महामानव बनना उसका चमत्कार है. मनुष्य का मानव बनना उसकी जीत है।
11: पवित्र आत्मा वाले लोग इतिहास के बाहर खड़े हो कर भी इतिहास रच देते हैं।
12: किताब पढ़ना हमें चिंतन और सच्चे आनंद की आदत देता है।
13: ऐसा बोला जाता है कि एक साहित्यिक प्रतिभा, सबको समान दिखती है पर उसके समान कोई नहीं दिखता है।
14: हमारे सारे विश्व संगठन गलत साबित हो जायेंगे यदि वे इस सत्य से प्रेरित नहीं होंगे कि प्यार ईर्ष्या से ज्यादा मजबूत है।
15: जीवन को एक बुराई के रूप में देखना और दुनिया को एक भ्रम मानना तुच्छ सोच है।
16: मृत्यु कभी भी एक अंत या बाधा नहीं है बल्कि एक नए कदम की शुरुआत है।
17: केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद और खुशी का जीवन सम्भव है।
18: लोकतंत्र कुछ विशेषाधिकार रखने वाले व्यक्तियों का ही नहीं बल्कि हर व्यक्ति की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक विश्वास है।
19: किताबे वह माध्यम है जिनके द्वारा हम दो संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते है।
20: आयु या युवा समय का मापदंड नहीं है. हम जितना खुद को महसूस करते हैं हम उतने ही युवा या उतने ही बुजुर्ग हैं।
21: पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।