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मोदी जी के हार्डवर्क से घबरा कर बोल रहा देश ये बात
गिरीश मालवीय
नरेंद्र मोदी के मनोविज्ञान में वायरस का डर था और है। इस डर में नरेंद्र मोदी ने गंभीर हो कर लॉकडाउन ऐलान किया। मगर बिना आगा-पीछा सोचे! बिना बुद्धि-हार्वर्ड-एक्सपर्टों, जॉन हापकिंस विश्वविद्यालय, इंपीरियल कॉलेज, गेट्स फाउंडेशन आदि की मेडिकल रिर्सच, रणनीति से सलाह किए। तभी वायरस की 130 करोड़ आबादी की संख्या के अनुपात में टेस्टिंग की बिना तैयारी के ही लॉकडाउन कर डाला। और तो और भारत के लोगों के मनोविज्ञान, मजबूरी, दशा का भी मोदी ने ख्याल नहीं रखा। तभी लॉकडाउन की घोषणा की अगली सुबह महानगरों से दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ गांवों की और पैदल निकल पड़ी। सोचें, चार-पांच दिन लाखों लोगों के रेले में पैदल यात्रियों की भीड़ अपने साथ यदि एक प्रतिशत भी कोरोना को दूरदराज के गांव-कस्बों-बस्तियों में या हाईवे के किनारे के संपर्कों में ले गई होगी तो महीने बाद क्या रूप लेगा?
क्या ऐसा अराजक, बिना सोचे-समझे, बिना मेडिकल तैयारी के दुनिया में कहीं और लॉकडाउन हुआ है? भारत अकेला देश है, जिसने बिना टेस्टिंग-मेडिकल तैयारी के सीधे 130 करोड़ लोगों को ताले में डाला। इटली, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, लॉकडाउन बाद से दो दिन पहले तक क्रमशः साढ़े सात लाख, साढ़े तीन लाख, ढाई लाख, पौने तीन लाख और 23 लाख टेस्ट कर चुके हैं। भारत का आंकड़ा है कोई सवा लाख! जबकि इन तमाम देशों की आबादी को जोड़ लें तब भी भारत की आबादी कोई ढाई गुना ज्यादा होगी।
सोचें, सवा सौ करोड़ आबादी में सवा लाख टेस्ट नहीं हुए और भारत में विचार होने लगा कि तालाबंदी खत्म करें? ... इसलिए मोदीजी ईश्वर के लिए अपने सुदर्शन चक्र को, अपने हार्ड वर्क को कुछ दिन विश्राम दीजिए। महामारी के आगे जब तमाम भगवानों ने कपाट बंद करा अपने को विश्राम अवस्था में रखा हुआ है तो भारत को भी कुछ महीने डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, लोकतांत्रिक विचार-विमर्श, हार्वर्ड-ऑक्सफोर्ड याकि बुद्धि के भरोसे छोड़ दीजिए। बुद्धि वाले नास्तिकों, अभक्तों को मौका दीजिए। अपने भक्तों-लंगूरों को भी विश्राम की सलाह दीजिए। और जब टेस्टिंग, मेडिकल लड़ाई के जरिए कोरोना से भारत के लोग मुक्ति पा जाएं तो कपाट खोल अपने दर्शन देते हुए जनता से दीये जलवा लीजिएगा। जनता तब खूब जयकारा कर डालेगी। हम हिंदुओं के आधुनिक भगवानजी, जरा रहम कीजिए, हार्ड वर्क से विश्राम करके कुछ महीने हार्वर्ड वालों को वायरस से लड़ने दीजिए