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मैदानी अंपायर अब नहीं दे सकते अपना ये डिसीजन, जाने वो कौन है नया नियम जिसको दुर करेगा फैसला देने में

Sujeet Kumar Gupta
5 Dec 2019 11:15 AM GMT
मैदानी अंपायर अब नहीं दे सकते अपना ये डिसीजन, जाने वो कौन है नया नियम जिसको दुर करेगा फैसला देने में
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नई दिल्ली। क्रिेकट मैच के नियमों में हमेशा से कुछ न कुछ बदलाव होता रहा है अभी हाल ही में भारत बांग्लादेश के खिलाफ पहला टेस्ट मैच कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में पिंक बॉल से खेला है। वही अब भारत-वेस्टइंडीज के बीच कल से शुरू होने जा रही टी-20 सीरीज ऐतिहासिक बदलाव के साथ खेली जाएगी। अब गेंदबाज द्वारा फेंकी जाने वाली फ्रंट फुट नो बॉल का निर्णय मैदानी अंपायर की बजाय थर्ड अंपायर करेंगे। इसी वर्ष मई में खेले गए इंग्लैंड-पाकिस्तान सीरीज में ट्रायल के दौरान थर्ड अंपायर एक हॉकआई ऑपरेटर की मदद से फ्रंट फुट नो बॉल चेक करता था।

आईसीसी ने गुरुवार को इस क्रांतिकारी फैसले की घोषणा की। यह व्यवस्था टी-20 सीरीज के बाद वन-डे श्रृंखला में भी अमल में आएगी। आईसीसी ने कहा कि करीबी मामले में संदेह का लाभ गेंदबाज के पास होगा। फिलहाल इस नियम को ट्रायल के तौर पर लागू किया जा रहा है। अगर यह नया नियम सफल रहता है तो फिर मैदानी अंपायर से आगे के पैर की नो बॉल देने का अधिकार छीन जाएगा। अक्सर देखा जाता है कि मैदानी अंपायर कई बार नो बॉल को नहीं देख पाते हैं और खिलाड़ियों को आउट दे दिया जाता है।

कई बार इसका असर मैच की आखिरी गेंद पर भी पड़ा है, जब गेंद नो होनी चाहिए थी, लेकिन बल्लेबाज को आउट दे दिया जाता है। इसके अलावा जो गेंद फ्री हिट होनी थी, उस पर विकेट मिल जाता है क्योंकि उसके पिछली गेंद अंपायर ने नहीं देखी थी कि वो गेंद नो थी।

आईसीसी ने एक बयान में कहा, 'पूरे परीक्षण के दौरान, थर्ड अंपायर गेंदबाज की हर गेंद की निगरानी करने और यह पहचानने के लिए जिम्मेदार होगा कि क्या कोई फ्रंट फुट उल्लंघन हुआ है। अगर सामने के पैर में कोई उल्लंघन हुआ है, तो थर्ड अंपायर ऑन-फील्ड अंपायर से बातचीत करेगा, जिसे बाद में नो बॉल करार कर दिया जाएगा।

इस क्रम में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एवं दिग्गज बल्लेबाज रिकी पॉन्टिंग ने भी इस विषय पर ऑस्ट्रेलिया के एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि-अगरआप खेल के दौरान के वीडियो फूटेज निकले तो आपको पता लगेगा की गेंदबाज सिर्फ नो बॉल की लाइन ही लांघते बल्कि 4 से 5 इंच से नो बॉल करते हैं. यह बताता है की मैदानी अंपायर नो बॉल के लिए चिंतित नहीं होते है . उनका पूरा ध्यान बल्लेबाज की तरफ पगबाथा या कैच पर ही होता है. मुझे नहीं लगता की अंपायर का ऐसा करना सही है।


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