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नई दिल्ली। इंग्लैंड और वेल्स में 30 मई से शुरू हो रहे विश्व कप के लिए भारतीय टीम तैयार हो गई है। जहां भारतीय टीम की ताकत उसका मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण है। विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम का तेज गेंदबाजी आक्रमण विश्व कप में सबसे अच्छा माना जा रहा है। मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण ही भारत की नई पहचान है। और इसी के दम पर भारतीय कोच रवि शास्त्री की टीम खिताब जीतने का दम भर रही है। 2015 में भारत ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। लेकिन उसके बाद बदलाव की हवा में भारत ने अपने गेंदबाजी आक्रमण को मजबूत किया। बीते तकरीबन 2 साल में अगर देखा जाए तो भारत की अधिकतर जीत इन्हीं गेंदबाजों के दम पर है। इस विश्व कप में भारत के पास 4 तेज गेंदबाज को लेकर खेलेगा। जिसमे जसप्रीत बुमराह- जो डेथ ओवरों के विशेषज्ञ हैं। बुमारह में दम है कि वह रन रोकने के अलावा विकेट लेने में भी सफल रहते हैं। बुमराह बेशक मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में गिने जाते हैं। बुमराह के अलावा भारत के पास स्विंग के दो जानकार भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी है। इन तीनों के अलावा भारत के पास दो आलराउंडर खिलाड़ी हैं। जो तेज गेंदबाजी करते हैं। वो हादिर्क पांड्या और विजय शंकर, लेकिन पांड्या का अंतिम-11 में खेलना तय है। पांड्या के पास इंग्लैंड में खेलने का अनुभव है। इंग्लैंड में किस तरह की गेंदबाजी करनी है। यह गेंदबाज बीच के ओवरों में एक छोर पर अच्छा कम कर सकता है।
आपको बता दें सिर्फ तेज गेंदबाज ही नहीं भारत के पास ऐसे स्पिनर भी हैं जो बीच के ओवरों में मैच का रुख मोड़ देते है। और क्रिच पर सेट बल्लेबाज को मुश्किल में डाल देते है जिससे कि विपक्षी टीम एक बड़ा रन बनाने में चुकती नजर आने लगती है। हालिया दौर में कुलदीप यादव और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने ऐसा कई बार किया है। भारत को दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया में वनडे सीरीजों में जो जीत मिली उसमें इन दोनों का बहुत बड़ा रोल रहा है।
ऐसा नहीं है कि भारत के पास बल्लेबाज नही है। टीम के पास कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन, महेंद्र सिंह धोनी जैसे महान बल्लेबाज है जो किसी भी स्थिती में मैच जीताने का दमखम रखते है। लेकिन कोहली के अलावा कोई भी बल्लेबाज निरंतर अच्छा नहीं कर सका है। यहां तक की हालत यह रही है कि अगर भारत के शीर्ष-3 बल्लेबाजों में से कोई एक भी नहीं चला तब भारत को 280-300 रनों के लक्ष्य को हासिल करना भी मुश्किल लगता है। बीते कुछ वर्षों में यह कई बार देखने को मिला है। हाल ही में भारत में आस्ट्रेलिया के साथ खेली गई वनडे सीरीज इस स्थिति का ताजा उदाहरण है। यही इस विश्व कप में भारत की सबसे बड़ी चिंता है कि अगर कोहली, रोहित या धवन में से कोई एक भी नहीं चला तो टीम को संभालेगा कौन? अंत में हालांकि धोनी हैं लेकिन वह अब उस तरह के धुआंधार बल्लेबाज नहीं रहे हैं जैसे हुआ करते थे लेकिन अभी भी मैच पलटने का माद्दा रखते हैं, बशर्ते दूसरे छोर से उन्हें समर्थन मिले।
हालांकि नंबर-4 पर बल्लेबाजी कौन करेगा इसके लिए चयनकतार्ओं ने शंकर को चुना है, लेकिन कोहली और शास्त्री दोनों कह चुके हैं कि नंबर-4 के पास उनके लिए कई विकल्प हैं। अब देखना होगा कि कौन यहां खेलता है। केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को पहले भी इस क्रम पर आजमाया जा चुका है और यह दोनों विश्व कप टीम में भी चुने गए हैं। जाधव में वो दम है कि वह इस नंबर पर मिलने वाली जिम्मेदारी को निभा सकें।विराट पहली बार विश्व कप में कप्तानी कर रहे हैं। वहीं इंग्लैंड में यह तीसरा मौका होगा जब वह टीम की कमान संभालेंगे। नेतृत्व में कोहली की सबसे बड़ी ताकत धोनी का होना है। धोनी के पास 2 वनडे विश्व कप और 6 टी-20 विश्व कप में कप्तानी का विशाल अनुभव है। उनके नाम दोनों प्रारुप में एक-एक विश्व कप जीत है। धोनी को हमेशा कोहली की मदद करते देखा गया है।
टीम : विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप-कप्तान), शिखर धवन, लोकेश राहुल, केदार जाधव, महेंद्र सिंह धोनी (विकेटकीपर), हार्दिक पांड्या, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, दिनेश कार्तिक (विकेटकीपर), विजय शंकर, रवींद्र जडेजा।