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हार्दिक पंड्या ने किया खुलासा क्यों डलवाया आखिरी ओवर अक्षर पटेल से, क्या था मैच जीतने का मंत्र!
बड़ा सवाल था कि क्या नए साल में नई टीम भारत की किस्मत बदल पाएगी? जवाब पहले टी-20 में 2 रनों से मिली करीबी जीत में मिल गया है। यह जीत इसलिए भी यादगार है क्योंकि पिछले 11 साल में सिर्फ दूसरी बार टीम इंडिया नए साल पर अपना पहला मैच जीत सकी है। अंतिम बार भारत ने इंग्लैंड को 2017 में नए साल में हराया था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ओस हर बार दूसरी बल्लेबाजी करने वाली टीम को फायदा पहुंचाती रही है। ऐसे में यंग टीम इंडिया का टॉस हार कर 162 तक पहुंचना बड़ी बात थी। वह भी तब जब तीसरे ओवर में सलामी जोड़ी टूट गई और 94 पर आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। यहां से दीपक हुड्डा और अक्षर पटेल के बीच 35 गेंदों पर 68* रनों की तेज साझेदारी सुकून देने वाली थी। कहना गलत नहीं होगा कि टीम इंडिया ने यह मैच जीत कर संदेश देने का प्रयास किया है कि अब हम विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ने का माद्दा रखते हैं।
लगातार गिर रही ओस के बीच जब भारत 163 का टारगेट डिफेंड करने उतरा, तो उसके पास डेब्यू कर रहे शिवम मावी थे। बतौर कप्तान हार्दिक ने मावी से कह दिया कि आप अपनी नेचुरल गेंदबाजी करें। अगर आपके खिलाफ रन बनते हैं तो कोई बात नहीं। टेंशन लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब किसी नए गेंदबाज को कप्तान का भरोसा मिलता है, तो डेब्यू कर रहा गेंदबाज भी 4 ओवरों में 22 रन देकर 4 विकेट हासिल कर लेता है। हार्दिक के इस बयान का पूरा मतलब बताते हैं। दरअसल मुकाबले का पहला ओवर खुद कप्तान ने डाला और दूसरे ओवर के लिए शिवम मावी को गेंदबाजी पर ले आए। दूसरी ही गेंद हाफ फॉली और कुशल मेंडिस ने फ्रंट लेग क्लियर करते हुए गेंद को मिडऑन के ऊपर से लॉफ्ट कर दिया। इस चौके पर वानखेड़े में सन्नाटा पसर गया था। ओवर की अगली गेंद फुलर लेंथ की और एक्स्ट्रा कवर की दिशा में करारा ड्राइव। एक और चौका। लग रहा था कि हार्दिक का फैसला गलत साबित हो सकता है।
मावी ने ऐसे हालात में भी अपना कॉन्फिडेंस कम नहीं होने दिया क्योंकि कप्तान का भरोसा उनके साथ था। परिणाम यह रहा कि आगे वाली गेंद पर चौका लगने के बावजूद ओवर की पांचवीं गेंद मावी ने निशंका को।अराउंड ऑफ ऊपर पिच कराई। गेंद टप्पा खाने के बाद अंदर की तरफ आई और बल्लेबाज बोल्ड हो गया। दरअसल आगे डालने के बाद गेंद को थोड़ी मूवमेंट मिल रही थी और इसी का फायदा शिवम मावी को मिला। नतीजा रहा कि उन्होंने अपने पहले टी-20 इंटरनेशनल के पहले ओवर में ही सफलता हासिल कर ली। चौथे ओवर में फिर एक दफा शिवम गेंदबाजी करने आए। चौथी गेंद फुल लेंथ अराउंड ऑफ। बल्लेबाज धनंजय डिसिल्वा का नो लुक ड्राइव सीमा रेखा के बाहर 4 रनों के लिए। बल्लेबाज ने थोड़ी देर तक शॉट खेलने के बाद अपने पोज को होल्ड किया। मानो वह गेंदबाज को संदेश देना चाह रहे हों। पांचवीं गेंद फुल लेंथ डिलीवरी अराउंड मिडिल एंड लेग। डिसिल्वा ने एक और नो लुक शॉट खेलने का प्रयास किया लेकिन बल्ले का मोटा किनारा सीधा मिडऑन के हाथों में।
इसके बाद शिवम को गेंदबाजी करने से रोक दिया गया और उनके दो ओवर अंत के लिए बचा कर रखे गए। हसरंगा 2 छक्कों और 1 चौके की मदद से 9 गेंदों पर 21 रन बना चुके थे। इस दौरान उन्होंने दासुन शनका के साथ मिलकर 16 गेंदों पर 40 रनों की पार्टनरशिप कर ली थी। मैच लगातार भारत की पकड़ से दूर जा रहा था। तभी शिवम मावी के 15वें ओवर की तीसरी गेंद स्लोअर बॉल आउटसाइड ऑफ। हसरंगा ने इसे मिडऑफ के ऊपर से स्मैश करने का प्रयास किया लेकिन बल्ले का टो एंड लगा। गेंद 30 गज दायरे के किनारे पर खड़े हार्दिक के हाथों में और श्रीलंका की बड़ी उम्मीद वापस पवेलियन की ओर। यह मुकाबले का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। मावी के 18वें ओवर की चौथी बॉल फिर एक दफा धीमी गेंद और बदले में टाइमिंग मिस करने वाले महेश थीक्षणा का लॉन्गऑफ में सूर्या को आसान सा कैच। कप्तान के भरोसे का नतीजा यह रहा कि शिवम मावी ने अपने चारों ओवर में विकेट हासिल किए।
अगर एक छोर से शिवम मावी विकेट चटका रहे थे तो दूसरी तरफ से उमरान मलिक भी आग उगल रहे थे। एक्सप्रेस स्पीड तेज गेंदबाज क्या कर सकता है, इसका नमूना श्रीलंका के खिलाफ पहले टी-20 के दौरान दिखाई पड़ा। 8वें ओवर की पांचवी गेंद उमरान मलिक ने शॉर्ट ऑफ लेंथ डाली। बल्लेबाज असलंका एक्स्ट्रा पेस के सामने पुल शॉट खेलने में बुरी तरह चूक गए। बल्ले का टॉप एज लगा और गेंद हवा में काफी ऊंची चली गई। यंग विकेटकीपर ईशान किशन ने काफी दूर दौड़ते हुए लगभग फाइन लेग में जाकर डाइव लगाते हुए यह कैच पकड़ा। यह निश्चित तौर पर ईशान के करियर का सर्वश्रेष्ठ कैच था। उन्हें ऐसा करता देखकर एक पल को आंखों में धोनी तैर गए। यह विकेट जितना उमरान का था, उतना ही ईशान का भी था। 17वें ओवर में पारी के श्रीलंकाई सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज दासुन शनाका 26 गेंदों पर 3 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 45 रन बनाकर खेल रहे थे। उमरान ने चौथी गेंद फुल एंड अराउंड ऑफ डाली। शनाका ने एक्स्ट्रा कवर के उपर से ड्राइव करने का प्रयास किया। पर 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मात खा गए। उन्होंने गेंद को सीधा एक्स्ट्रा कवर पर तैनात युजवेंद्र चहल के हाथों में स्लाइस कर दिया। श्रीलंकाई कप्तान शनाका वापस जा रहे थे और साथ लिए जा रहे थे श्रीलंका की जीत की उम्मीद।
इसके अलावा हार्दिक पंड्या ने मुकाबले के बाद साफ किया कि जब उन्हें वानखेड़े में बाद में बॉलिंग करने का विकल्प मिला तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार किया। हार्दिक बतौर कप्तान यह चाहते हैं कि टीम मुश्किल हालात में जीत हासिल करे। इसलिए उन्होंने लास्ट ओवर स्पिनर से डलवाने का जोखिम लिया। जब अक्षर पटेल ने गेंद थामी तो श्रीलंका को जीतने के लिए केवल 13 रन चाहिए थे। करुणारत्ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रहे थे। पर अक्षर ने उन्हें जरूरी रन नहीं बनाने दिए। अंतिम 2 गेंदों पर 2 रन आउट की बदौलत भारत 2 रन से मैच जीत गया। यह तब हुआ जब करुणारत्ने 143 की स्ट्राइक रेट से 23 रन बनाकर नाबाद रहे। अंतिम दोनों गेंदों पर दोनों ही दफा गेंद मिडविकेट पर मौजूद दीपक हुड्डा के हाथों में गई। हुड्डा ने दोनों बार लाजवाब फील्डिंग की। पांचवीं गेंद पर बॉलर्स एंड पर थ्रो और अंतिम गेंद पर विकेटकीपर ईशान की तरफ थ्रो। पहले अंडर प्रेशर बैटिंग और फिर अंडर प्रेशर लाजवाब फील्डिंग।
यंग कैप्टन हार्दिक ने यंगिस्तान को दबाव में बिखरने की जगह लड़ने का हौसला दिया। जिस वानखेड़े में ओस के बीच 200 रन डिफेंड करना भी लगभग नामुमकिन होता है, भारत ने वहां 163 बचाकर साबित किया कि नए लड़के पुराना इतिहास बदल सकते हैं। उम्मीद है कि यह दमदार प्रदर्शन टीम में नई ऊर्जा जगाएगा। भारत अब विपरीत परिस्थितियों में भी नॉकआउट मुकाबले जीत पाएगा।
साभार Lekhanbaji