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पहलवानों के विरोध और अंततः साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने से साख पर जो बट्टा लगा है उसे धोने के लिए तरह-तरह के डिटर्जेंट आजमाए जा रहे हैं। अभी और सामने आएंगे। फिलहाल एक दिलचस्प मामला एएनआई के ट्वीट (खबर) का है। इसके अनुसार पूर्व एथलीट अंजू जॉर्ज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष कांग्रेस शासन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुझे गलत समय में सफलता मिली। खबर के अनुसार अंजू के ऐसा कहने से प्रधानमंत्री मुस्कुराने लगे। दरअसल अंजू ने अपने भाषण में भारत में इस समय खेल की स्थिति की तारीफ की और कहा कि वे गलत जमाने में कामयाब हुईं।
इसके साथ वीडियो भी है। यह ट्वीट 25 दिसंबर 2023 के शाम 17:04 का है। फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (@zoo_bear) ने एएनआई का एक पुराना ट्वीट जो 06 जुलाई 2019 के शाम 18:19 का है का स्क्रीन शॉट लगाते हुए कहा, एएनआई यह उल्लेख करना भूल गया कि अंजू जॉर्ज 2019 में पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गई थीं। भले ही यह अलग खबर है लेकिन वीडियो से लगता है कि उसी मौके का है जब प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका संबंध क्रिश्चयन समुदाय से काफी पुराना है।
ऐसे में एएनआई की खबर सामान्य होते हुए भी अधूरी है। मोहम्मद जुबैर ने एएनआई और खबर आलोचना की है, भाजपा या प्रधानमंत्री की नहीं। पर भक्त कहां मानते या समझते हैं। वैसे भी, पोल-खोल जुबैर भक्तों के निशाने पर रहते हैं और भक्त उनपर हमले का कोई मौका नहीं चूकते। तुरंत एक स्क्रीन शॉट आया। अंग्रेजी की यह खबर कहती है, केंद्रीय मंत्री मुरलीधरण ने कहा, अंजू बॉबी जॉर्ज भाजपा में शामिल नहीं हुई हैं। यह शामिल होने की खबर के दो दिन (पर 48 घंटे से कम) बाद की खबर है।
इसका मतलब मामला यह है कि एएनआई ने तब गलत खबर थी कि अंजू बॉबी जॉर्ज भाजपा में शामिल हो गई हैं और कल जब प्रधानमंत्री के मुस्कुराने की खबर दी तो अपनी ही खबर का जिक्र नहीं किया। मोहम्मद जुबैर ने याद दिलाया तो पता चला कि यह खबर गलत थी पर भक्तों की राय में दोषी जुबैर हैं। मतलब एएनआई ने तो गलती 2019 में की थी जुबैर अब उसका जिक्र क्यों कर रहे हैं। मैं कहूंगा कि एएनआई अब भी वही कर रहा हो सकता है इसलिए। लेकिन बात इतनी ही नहीं है। दि इंडियन एक्सप्रेस की 6 जुलाई 2019 की एक खबर का भी स्क्रीन शॉट है जो कुछ ही घंटे बाद का है।
इसके अनुसार ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने भाजपा में शामिल होने की रिपोर्ट का खंडन किया (को कूड़ा बताया) और कहा, कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। इसके साथ एक तस्वीर थी जिसे एएनआई ने ट्वीट किया था। इसका कैप्शन है, पार्टी के एक समारोह में एथलीट भाजपा का झंडा हाथ में लिये नजर आ रही हैं। इसमें भाजपा के कर्नाटक प्रमुख बीएस येदुरप्पा और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरण नजर आ रहे हैं। जाहिर है, अंजू ने 2019 में भाजपा के समारोह में भाग लिया था, भले भाजपा में शामिल नहीं हुईं। ऐसे में 25 सिंतबर को एएनआई की खबर कहां से, कैसे और क्यों आई उसे भी समझने की जरूरत है। जिसे मैं ऊपर बता चुका हूं।
उल्लेखनीय है कि दस साल प्रधानमंत्री रहने के बाद नरेन्द्र मोदी ने इस बार क्रिसमस पर कहा है, क्रिश्चयन कम्युनिटी के साथ तो मेरा संबंध कोई नया नहीं है। बहुत पुराना और बड़ा आत्मीय नाता रहा है और बड़े वार्म रिलेशंस रहे हैं। इसपर लोगों ने याद दिलाया है कि उस समय के चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह से भी उनके आत्मीय संबंध थे और वे अक्सर उनका पूरा नाम, जेम्स माइकल लिंगदोह लेकर बताते थे कि वे क्रिश्चयन हैं। ऐसे में इस खबर का मकसद अंजू बॉबी जॉर्ज से पुराना रिश्ता बताना भी हो सकता है। यही नहीं, मणिपुर में 250 से ज्यादा चर्च जलाये गये हैं। उसपर मैंने कोई टिप्पणी नहीं सुनी पर यह टिप्पणी प्रचारित की जा रही है।
इससे पहले दयानिधि मारन के एक पुराने भाषण को लेकर एएनआई की खबर पर भी मोहम्मद जुबैर ने कहा था कि मारन के भाषण के लिए उनकी निन्दा आलोचना खूब की जाये पर यह बताया जाना चाहिये कि भाषण पुराना (जून 2019) का है। दोनों मामलों में एएनआई को यह बताना चाहिये था कि मुद्दा पुराना है और शुरुआत एएनआई ने की थी पर भक्तों के लिए उसका मतलब नहीं है। अगर आपको लगता है कि यह सब छोटी-मोटी बात है और एएनआई जैसी सरकार समर्थक समाचार एजेंसी की ऐसी खबर से हमें परेशान नहीं होना चाहिये तो मैं बता दूं कि मीडिया और खबरों से संबंधित यह विवाद नहीं होता तो मैं आपको बताता कि संसद के रिकार्ड से 264 सवाल निकाल दिये गये हैं। ये वो सवाल हैं जो विपक्ष के निलंबित सांसदों ने पूछे हैं।
मतलब निलंबित तो किया ही गया है जो सवाल पूछे गये (जिसका जवाब नहीं है) उसे भी हटा दिया गया और राष्ट्रपति बच्चों को लोकतंत्र की बात बता रहे हैं कह रहे हैं वे सफरर हैं। ऐसी और भी खबरें हैं जिनकी चर्चा झूठी खबरों का सच बताने के फेर में नहीं होती है। पहलवानों के पूरे मामले के बाद देश में खेल के माहौल को बेहतर बताना और अफसोस करना कि मैं गलत जमाने में सफल हो गई – खबर तो है ही, प्रचार भी है लेकिन भक्त समझें तब ना?