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बस कंडक्टर की बेटी का टोक्यो ओलंपिक तक कैसा रहा सफर? पढ़िए,पूरी कहानी
मेरठ:टोक्यो ओलंपिक से भारतीय खिलाड़ियों का दल देश लौट चूका है.दिल्ली लौटने के बाद सभी खिलाड़ियो का दिल्ली एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया था.जिसके बाद सभी खिलाडी अब अपने अपने गृह राज्य पहुंच रहे वहा भी उनका जोरदार स्वागत किया जारा है.ऐसे में यूपी के मेरठ जिले की रहने वाली एथलीट प्रियंका गोस्वामी भी जब अपने घर मंगलवार को पहुंची तो उनका भी शानदार स्वागत हुआ. प्रियंका गोस्वामी ने 20 किमी रेस वॉकिंग में शानदार प्रदर्शन किया था.प्रियंका ने टोक्यो ओलंपिक में भले ही पदक ना जीता हो, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने देश के लोगों का दिल जरूर जीत लिया है. प्रियंका रेस वॉकिंग में 17वें नंबर पर आई थी.प्रियंका गोस्वामी पिछले एक साल से अपने घर से दूर थी.
वही अपने घर लौटने पर प्रियंका ने कहा कि उन्होंने ओलंपिक में भाग लेकर बहुत कुछ सीखा है जिसके चलते अब वह भविष्य में हर इवेंट में मेडल लेने की कोशिश करेंगी.प्रियंका ने बताया उसका ओलंपिक तक का सफर चुनौतियों से भरा हुआ था. पिता रोडवेज में कंडक्टर थे, लेकिन किसी कारणवश उनकी नौकरी चली गई थी. घर में आर्थिक तंगी भी थी. जिसके कारण एक खिलाड़ी को जैसी डाइट लेनी चाहिए थी वैसी नहीं मिल सकी.घर का भोजन खाकर ही उन्होंने इतने बड़े इवेंट की तैयारी की.
प्रियंका ने आगे बताया कि परिवार में चल रही आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था.धीरे-धीरे घर के आर्थिक हालात कुछ सुधरे तो उसने प्रॉपर तरीके से ट्रेनिंग लेनी शुरू की जिसके बाद उसका सफर ओलंपिक तक पहुंचा.
प्रियंका का कहना है कि वह कई बार अपने पिता की नौकरी के लिए कोशिश कर चुकी हैं. ओलंपिक जाने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई वर्चुअल मीटिंग के दौरान भी प्रियंका ने अपने पिता की नौकरी का मुद्दा छेड़ा था.प्रियंका को अपने पिता की नौकरी ना लग पाने का दुःख भी है.
उन्होंने कहा कि 2024 पेरिस ओलिंपिक से पहले वर्ल्ड चैपिंयनिशप, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ हैं. इन गेम्स में वो पदक जीतने का प्रयास करेंगी.प्रियंका ने बताया कि इस एक साल के दौरान उन्होंने अपनी मम्मी के हाथों से बने खाने को बहुत मिस किया. प्रियंका का कहना है कि उसे अपनी मां के बनाए पराठे बेहद पसंद हैं.