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अंडर-19 एशिया कप: बांग्लादेश को हराकर सातवीं बार विजेता बना भारत,जीत के हिरो रहे अंकोलेकर की कहानी आपको कर देगी भावुक

Sujeet Kumar Gupta
15 Sep 2019 6:48 AM GMT
अंडर-19 एशिया कप: बांग्लादेश को हराकर सातवीं बार विजेता बना भारत,जीत के हिरो रहे अंकोलेकर की कहानी आपको कर देगी भावुक
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बेहद ही लो स्कोरिंग मैच में भारतीय अंडर-19 टीम ने गेंदबाजों के दमदार प्रदर्शन के सहारे 7वीं बार यूथ एशिया कप का खिताब अपने नाम किया।

भारतीय जूनियर क्रिकेट टीम ने अंडर-19 एशिया कप के फाइनल मैच में शनिवार को कमाल करते हुए एक जबरदस्त रोमांचक मुकाबलें में बांग्लादेश अंडर-19 टीम को 5 रनों से हराते हुए अंडर-19 एशिया कप का खिताब जीत लिया। बेहद ही लो स्कोरिंग मैच में भारतीय अंडर-19 टीम ने गेंदबाजों के दमदार प्रदर्शन के सहारे 7वीं बार यूथ एशिया कप का खिताब अपने नाम किया।

कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेरडियम में गेंदबाजों की मददगार पिच पर भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 106 रन पर सिमट गई। उसकी ओर से 8वें नंबर के बल्लेटबाज करण लाल ने सबसे ज्या दा 37 रन बनाए। वहीं कप्तान ध्रुव जुरेल ने 33 रन की पारी खेली। लेकिन गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश अंडर-19 टीम को 101 रन के स्कोर पर आउट कर 5 रनों की रोमांचक जीत हासिल की।

106 रन के लक्ष्य का बचाव करने को उतरे भारतीय गेंदबाजों ने पूरी जान लगा दी और 40 रन पर बांग्लादेश की आधी टीम आउट कर दी। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आकाश सिंह ने अपने पहले 3 ओवरों में 3 विकेट लिए। इसके बाद बाएं हाथ के स्पिनर अथर्व अंकोलेकर ने अपनी फिरकी में बांग्ला बल्लेबाजों को फंसाया और 78 रन पर विरोधी टीम के 8 विकेट गिर गए। लेकिन बांग्लाोदेश के कप्ता‍न अकबर अली ने एक मोर्चा थाम लिया और उन्होंने सबसे ज्यादा 23 रन बनाए। अंकोलेकर ने ही उन्हें आउट किया। एक समय ऐसा लग रहा था कि भारत खिताब से दूर रह जाएगा, लेकिन अंकोलेकर ने 3 गेंदों में 2 विकेट लेकर बांग्लादेश को 101 रन पर समेट दिया।

भारतीय अंडर-19 टीम के जीत के नायक महाराष्ट्र के युवा स्पिन गेंदबाज अथर्व अंकोलेकर रहे जिनकी फिरकी के आगे बांग्लादेशी बल्लेबाजी पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई और इस फाइनल मैच में अथर्व अंकोलेकर ने 5 विकेट लेकर जीत में खास भूमिका अदा की।

भारतीय अंडर-19 टीम को एशिया कप दिलाने में सबसे बड़ा योगदान देने वाले अथर्व की बचपन की कहानी और क्रिकेट में यहां तक पहुंचने की कहानी बहुत ही संघर्ष भरी रही है। महाराष्ट्र के रहने वाले अथर्व की मां मुंबई में एक सरकारी बस में कंडक्टर हैं और उनकी इसी कमाई से घर का गुजारा हो पाता है। तो वहीं अथर्व के पिता विनोद अंकोलेकर का 2010 में ही निधन हो गया था। जिसके बाद मां के कड़े संघर्ष और अपनी कड़ी मेहनत के दम पर अथर्व यहां तक पहुंचे।



महाराष्ट्र के युवा स्पिन गेंदबाज अथर्व ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए पूरे टूर्नामेंट में अपनी फिरकी का कमाल दिखाया। अथर्व ने फाइनल मुकाबले में 8 ओवर की गेंदबाजी में 28 रन देकर 5 विकेट हासिल किए तो पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने 4 मैचों में 12 विकेट झटके।

अथर्व ने 9 साल पहले भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को अपनी 9 साल की उम्र में ही फिरकी से आउट करने में सफलता हासिल की थी। 18 साल के अथर्व अंकोलेकर मुंबई की रिजवी कॉलेज में सेकंड ईयर के छात्र हैं।

पिछले ही महीनें भारतीय अंडर-19 टीम में सेलेक्शन के बाद से वो अब तक 7 मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 15 विकेट हासिल किए हैं। उनका सपना है कि वो एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेले। वो अपने पिता को इस समय सबसे ज्यादा मिस करते थे जो अथर्व के अनुसार उनके बचपन के दिनों में बल्ला गिफ्ट में देते थे।

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