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महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट का जादूगर क्यों कहा जाता है? जानिए आज फिर दिखाया कमाल
महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट के जादूगर हैं। DRS मतलब धोनी रिव्यू सिस्टम कोई 1 दिन मे नहीं हुआ है। मुंबई के खिलाफ जो दिखा, वह नजारा क्रिकेट फील्ड पर सैकड़ों बार दिख चुका है। एक बार धोनी ने किसी निर्णय के खिलाफ अपील कर दी, 99% संभावना है कि अंपायर को माफी मांगनी होगी। माही को सब कुछ सही समय पर करने की आदत है। लखनऊ के खिलाफ 12 रन से करीबी मैच जीतने के बाद माही ने कहा था कि अगर गेंदबाज नो बॉल और वाइड बॉल डालना बंद नहीं करेंगे, तो मैं दो बार बोल कर चला जाऊंगा। यह बयान धोनी ने जरूर हंसते हुए दिया था, लेकिन उनकी मंशा साफ थी। वह गिरते-पड़ते नहीं बल्कि बड़े अंतर से मुकाबले जीतना चाहते थे।
मुंबई इंडियंस की शुरुआत अच्छी रही और उसने बगैर विकेट खोए चौथे ओवर में 38 रन बना लिए थे। इसके बाद हिटमैन रोहित 13 गेंद पर 21 रन बना कर पवेलियन लौट गए। 7वें ओवर में जब टीम का स्कोर 64 रन था, ईशान किशन ने भी 21 गेंद पर 32 रन बनाकर पवेलियन का रास्ता पकड़ लिया। यहां से सूर्यकुमार यादव के लिए स्टेज बिल्कुल सेट था। सूर्या आज भी T-20 इंटरनेशनल में दुनिया के नंबर वन बल्लेबाज हैं। उनके लिए किसी भी मुकाबले की सूरत बदलने की खातिर 15 से 20 बॉल काफी है। धोनी यह बात बखूबी जानते थे।
मिचेल सैंटनर के आठवें ओवर की दूसरी गेंद लेग स्टंप के बाहर जा रही थी। सूर्यकुमार यादव ने फाइन लेग की दिशा में स्वीप शॉट खेलने का प्रयास किया लेकिन मिस कर गए। अंपायर ने थाला की अपील को अनसुना करते हुए गेंद को वाइड करार दे दिया। अंपायर को शायद लगा कि माही वाइड बचाने के लिए बाकी विकेटकीपर्स की तरह झूठ-मूठ की अपील करने का नाटक कर रहे हैं। सूर्यकुमार यादव पवेलियन की तरफ बढ़ चुके थे, लेकिन अंपायर का इशारा देख कर ठहर गए। माही ने अगले ही पल DRS ले लिया। इस फैसले पर पहुंचने के लिए उन्होंने आजू-बाजू किसी की निगाह में नहीं देखा। जब धोनी किसी चीज के लिए स्योर हैं, मतलब वह हो चुका है। रिव्यू में साफ दिखाई पड़ा कि बॉल सूर्या के ग्लव से लगते हुए माही के दस्तानों में गई थी। अल्ट्रा एज में स्पाइक देखते ही सूर्या चल पड़े।
महेंद्र सिंह धोनी ने जिस तरह लेग स्टंप के काफी ज्यादा बाहर जा रही गेंद पर कैच पकड़ा, वह माही की फिटनेस और तेजी दिखाने के लिए काफी है। 41 वर्ष की उम्र में भी DRS का मतलब धोनी रिव्यू सिस्टम है। धोनी की शानदार विकेटकीपिंग के बदौलत सूर्या सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गए और मुंबई को 67 पर तीसरा झटका लग गया। इस विकेट में गेंदबाज की भूमिका बिल्कुल नहीं थी। असाधारण कैच पकड़ने से लेकर DRS तक.... सबकुछ माही ने किया। धोनी के इस एक डिसीजन के कारण मुंबई 20 ओवर में 8 विकेट खोकर सिर्फ 157 रन बना सकी और बदले में उसे 11 गेंद शेष रहते 7 विकेट से हार नसीब हुई। सूर्या का विकेट मुकाबले का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। कोरोना काल के बाद भले ही दुनिया बदल गई, लेकिन माही कल की ही तरह आज भी सर्वश्रेष्ठ है।
साभार Lekhanbaji