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सिपाही भूपसिंह का अरमान, ना जाए सडक पर तड़पकर जान
Special News Coverage
17 March 2016 2:31 AM GMT
लखनऊ शबाहत हुसैन विजेता
उत्तर प्रदेश पुलिस में एक ऐसा भी सिपाही है जो पिछले 18 साल से स्कूली बच्चों को मार्ग दुर्घटनाओं से बचाने का प्रशिक्षण देने में लगा है। यह सिपाही अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से अंजाम देने के बाद छुट्टियों का इस्तेमाल बच्चों को प्रशिक्षित करने में लगाता है। अब तक पांच लाख स्कूली बच्चों ने इनसे सड़क पर जान बचाने का प्रशिक्षण लिया है। इस सिपाही को ग्यारह साल तक लगातार गणतन्त दिवस परेड में सम्मानित होने का गौरव मिला है। प्रदेश सरकार के मंत्री जयवीर सिंह, सांसद धर्मेन्द्र यादव और 21 पुलिस अधीक्षक इस सिपाही को पुरस्कृत कर चुके हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव इस सिपाही को दरोगा पद पर प्रोन्नति का आदेश दे चुके हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार का प्रस्ताव मांग चुके हैं लेकिन पुलिस विभाग में इनकाउंटर के एवज़ में तो आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन का नियम है लेकिन जिंदगियां बचाने के एवज़ में प्रमोशन का नियम ही नहीं है।
यूपी के पूर्ववर्ती जिला एटा मौजूदा कासगंज जनपद के तहसील पटियाली थाना सिद्पुरा, विकास खंड सिद्पुरा के अंतर्गत ग्राम उतरना के पास नगला गोदे स्थित है। चूँकि नगला गोदे ग्राम पंचायत सुजानपुर का मजरा है। नगला गोदे निवासी अनोखे लाल यादव के घर जन्में भूप सिंह यादव एक साधारण किसान परिवार में जन्मे थे। भूप सिंह की प्राथमिक शिक्षा उतरना में जूनियर की शिक्षा सरावल तथा हाईस्कुल और उच्च शिक्षा परसोंन इंटर कालेज में हुई। भूप सिंह यादव दो भाई है। बड़े भाई नायब तहसीलदार है। भूप सिंह की भर्ती यूपी पुलिस में हुई थी।
वर्ष 97-98 की बात है। सिपाही भूप सिंह यादव कन्नौज के विश्वनगर थाने में तैनात थे। शहर में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का कार्यक्रम था। फ्लीट में इनकी ड्यूटी लगाई गई। चलते-चलते फ्लीट अचानक रुक गई। भूप सिंह दौड़ते हुए सबसे आगे पहुँच ग।. वहां पहुंचकर पता चला कि केले का ठेला देखकर मुख्यमंत्री रुक गए थे। सिपाही की इस तेज़ी पर मुख्यमंत्री बहुत खुश हुए और बोले कोई काम हो तो बताओ। इस पर भूप सिंह ने कहा कि जब कुछ विशेष करूंगा तब काम भी बताऊंगा। बात आई-गई हो गई।
भूप सिंह की ड्यूटी मार्ग दुर्घटनाओं में मरने वालों के पोस्टमार्टम में लगा दी गई। भूप सिंह रोज़ पोस्टमार्टम कराते वक़्त मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने के बारे में सोचते रहते। एक रात उनके दिमाग में आया कि स्कूली बच्चों को मार्ग दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक किया जाय। विभाग से परमीशन लेकर उन्होंने छुट्टियों में यह काम शुरू किया। 2001 में एक महीने की ई एल लेकर स्कूलों में बच्चों को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद तो जितनी भी छुट्टियाँ मिलीं वह बच्चों को प्रशिक्षण देने में चली गईं। वह अपनी ससुराल जाते तो वहां भी आसपास के स्कूलों में प्रशिक्षण दे आते।
सिपाही भूप सिंह ने अपनी नौकरी के साथ-साथ जो अनोखा कारनामा अंजाम दिया उसकी वजह से वह जिस-जिस जिले में पोस्टेड रहे उस शहर का हर स्कूली बच्चा उन्हें जानता रहा।
2006 में उसे मुलायम सिंह यादव की बात याद आई। इत्त्फाकान उन दिनों भी मुलायम सिंह ही मुख्यमंत्री थे। पुलिस अधीक्षक से परमीशन लेकर वह 26 जुलाई को लखनऊ आये और अपना रिकार्ड उनके सामने रख दिया। उस समय तक भूप सिंह 4 लाख 11 हज़ार बच्चो को प्रशिक्षित कर चुके थे। मुलायम सिंह बहुत खुश हुए। उन्होंने अपने सचिव चन्द्रमा प्रसाद को भूप सिंह को तत्काल प्रमोशन कर दरोगा बनाने और राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रस्ताव मंगाने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री के आदेश को दस बरस बीत गए लेकिन भूप सिंह आज भी सिपाही हैं।
भूप सिंह को भले ही प्रमोशन नहीं मिला लेकिन उनके काम को पहचान खूब मिली है। प्रदेश के पंद्रह जिलों के स्कूली बच्चे उन्हें खूब पहचानते हैं और उनकी खूब इज्ज़त भी करते हैं। भूप सिंह कामेडी के ज़रिये बच्चों की ढाई घंटे की क्लास लेते हैं और उन ढाई घंटे में बच्चों को यह सिखा देते हैं कि जीवन अनमोल है और ट्रैफिक नियमों का पालन कर उसे बचाया जा सकता है।
भूप सिंह को इतने प्रमाणपत्र मिले हैं जितने शायद देश में किसी को नहीं मिले होंगे। अपने प्रमाण पत्रों की उन्होंने किताब बनवा ली है जिसका वज़न 10 किलो के आसपास है। नामचीन गीतकारों ने उन पर गीत और कवितायें लिखी हैं।
प्रेम चन्द्र सक्सेना ने लिखा है :-कभी भूलकर भी नहीं लेता सुविधा शुल्क, ऐसा सेवक हो जहाँ बड़भागी वह मुल्क।
बदन सिंह मस्ताना ने लिखा है :- पुलिस महकमे की बने भूप सिंह तुम शान, बच्चों को निस्वार्थ दे सड़क नियम का ज्ञान।
इस समय लखनऊ में वूमेन पावर लाइन 1090 में कार्यरत भूप सिंह का नाम का उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने इस साल यशभारती के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है।
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