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बिहार की राजनीती जल्द ही नई करवट लेने जा रही है और इसका संकेत भी दिखने लगा है। बिहार सरकार के हालिया विज्ञापन में केवल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही दिख रहे हैं और नीतीश कुमार कुमार अचानक गायब हैं। इससे यह अटकलें लगनी तेज हो गई है कि जदयू और राजद में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
बुधवार को पथ निर्माण विभाग के विज्ञापन में डिप्टी सीएम तेजस्वी तो दिखे लेकिन सीएम नीतीश की तस्वीर गायब दिखी। बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग के विज्ञापन में डिप्टी सीएम की बड़ी तस्वीर के साथ कम्प्यूटराइड ऑनलाइन का विज्ञापन दिया गया था। विज्ञापन विवाद पर भाजपा के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि फोटो छपवाने के लिए जदयू-राजद में गतिरोध है। सरकार की विज्ञापन नीति साफ नहीं हैं। सरकारी कार्यक्रम के विज्ञापन में सीएम की फोटो नहीं आना पहली घटना है।
हालांकि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि जानकारी के अभाव में विपक्ष मुद्दा उठा रहा है। विज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन किया गया है। बीजेपी महागठबंधन के बीच दूरियां दिखाने में जुटी हुई है जबकि महागठबंधन पूरी तरह से एकजुट है। इससे पहले 26 मार्च को आईजीआईएमएस में आयोजित किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्धघाटन का कार्यक्रम अंतिम वक्त में रद्द हो गया था। इसके विज्ञापन में सीएम नीतीश की तस्वीर छपी थी लेकिन स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव विज्ञापन से नदारद थे।
हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री के शामिल नहीं होने की वजह से उनकी तबीयत खराब होना बताया गया था। अब खबरें आ रही हैं कि विज्ञापन में स्वास्थ्य मंत्री का नाम नहीं होने कारण कार्यक्रम को रद्द किया गया था।
जदयू प्रवक्ता नीरज ने गठबंधन का बचाव करते हुए कहा कि जनता के दिल में बसती है सीएम नीतीश की तस्वीर। विपक्ष बिहार की विकास प्रक्रिया को उलझाना चाहता है।
सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर की गाइडलाइंस पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश के अलावा राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों की तस्वीरों को भी विज्ञापनों में छापा जा सकता है। कोर्ट ने यह फैसला राज्यों और केंद्र की तरफ से रिव्यू पिटीशन पर दिया था लेकिन यहां सवाल यह उठ रहे हैं कि सरकारी विज्ञापन में राज्य के मुखिया की तस्वीर कैसे और क्यों गायब है ?
जानकारों के मुताबिक पिछले 10 सालों में यह पहला मौका है कि किसी सरकारी विज्ञापन में मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं छपी है।
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