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हिन्दी-उर्दू के मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली का निधन
Special News Coverage
8 Feb 2016 10:47 AM GMT
मुंबई : हिन्दी-उर्दू के मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली का दिल का दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया। वो 78 साल के थे। उनके निधन पर कई जानी-मानी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। निदा फाजली इनका लेखन का नाम था। उनका पूरा नाम मुक्तदा हसन निजा फाजली था।
12 अक्टूबर 1938 को ग्वालियर में जन्मे निदा का शुरुआत में नाम मुक्तदा हसन था। उनकी पढ़ाई भी यहीं पर हुई थी। उन्हें 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। 2013 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था।
फाजली ने उर्दू शायरी के अलावा कई फिल्मों के लिए भी गाने लिखे। उनके फिल्मी सफर को तब बड़ा मुकाम मिला जब उन्हें कमाल अमरोही की रजिया सुल्तान के लिए गाने लिखने को कहा गया। इसके साथ ही फिल्म सरफरोश में जगजीत सिंह द्वारा गाई गई गजल 'होश वालों को खबर क्या..' काफी मशहूर हुआ था।
मशहूर शायर फाजली का पहला प्रकाशित संकलन 'लफ्जों के फूल' नाम से प्रकाशित हुआ। इसके अलावा उन्होने मोर नाच, आंख और ख्वाब के दरमियां, खोया हुआ सा कुछ, आंखों भर आकाश, सफर में धूप तो होगी काव्य संग्रह लिखे। 'खोया हुआ सा कुछ' (1996) को साल 1998 में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा उन्होने दीवारों के बीच, दीवारों के बाहर, निदा फाजली नाम से आत्मकथा भी लिखी। और उन्होने मुलाक़ातें, सफ़र में धूप तो होगी, तमाशा मेरे आगे नाम से संस्मरण भी लिखे।
निदा फ़ाज़ली के हिट गाने
तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है (फ़िल्म रज़िया सुल्ताना)।
आई ज़ंजीर की झन्कार, ख़ुदा ख़ैर कर (फ़िल्म रज़िया सुल्ताना)
होश वालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज है (फ़िल्म सरफ़रोश)
कभी किसी को मुक़म्मल जहाँ नहीं मिलता (फ़िल्म आहिस्ता-आहिस्ता)
तू इस तरह से मेरी ज़िंदग़ी में शामिल है (फ़िल्म आहिस्ता-आहिस्ता)
चुप तुम रहो, चुप हम रहें (फ़िल्म इस रात की सुबह नहीं)
दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है (ग़ज़ल)
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी (ग़ज़ल)
अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये (ग़ज़ल)
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