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आतंकवाद का बीज इसरायल ने बोया है खामियाजा पूरा विश्व उठा रहा है - कल्बे जब्बाद

Special News Coverage
24 Jan 2016 10:30 AM GMT

Kalbe Jawad
लखनऊः भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में सांप्रदायिक सदभावना को बढ़ावा देने वाले एक प्रशंसनीय क़दम के तहत मुसलमान तथा हिंदू धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आतंकवाद की भर्त्सना की।


आतंकवाद का बीज इस्राईल ने बोया
वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ़ और पठानकोट हमले की निंदा के लिए मजलिसे उलमाये हिन्द के बैनर तले इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद हज़रतगंज में आयोजित होने वाले मुसलमान व हिन्दु संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ मुसलमान धर्मगुरू और मजलिसे उलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सय्यद कल्बे जब्बाद नक़वी ने कहा कि मानवता का असली दुश्मन इस्राईल है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जितना भी आतंकवाद हो रहा है उसका बीज इस्राईल ने बोया है।


सबसे पहले फन्डिंग बंद हो

मौलाना कल्बे जब्बाद ने कहा कि जब तक आतंकवादियों को हो रही फन्डिंग बंद नहीं होगी तब तक आतंकवादी बेगुनाह इंसानों का ख़ून बहाते रहेंगे। दुनिया जानती है कि दाइश जैसे दूसरे आतंकवादी संगठनों को सबसे ज़्यादा धन सऊदी अरब से दिया जाता है मगर मानवाधिकार संगठन चुप हैं और संयुक्त राष्ट्र भी उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं करता।



धर्मगुरू मुफ्ती शफीक़ हनफ़ी क़ादेरी सचिव इदारए मिन्हाजुल क़ुरआन मुंबई ने कड़े शब्दों में आतंकवाद की निंदा करते हुए कहा कि सऊदी अरब इराक़, यमन, सीरिया, बहरैन और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और जब उसके मामलों में कोई दख़ल देता है तो उसे सहन नहीं होता। उन्होंने कहा कि हर किसी को अपने पंथ और अक़ीदे का पालन करने की स्वतंत्रता होती है लेकिन सऊदी अरब में ऐसा नहीं है वरना शेख़ निम्र बाक़िर निम्र को फांसी ना दी जाती।

संवाददाता सम्मेलन में पंडित उत्तम शर्मा जगतगुरु शंकर आचार्य जी महाराज के अनुयायी ने कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए बड़ा ख़तरा है, हर देश इसका शिकार है, उसके अंत के लिए सभी धर्म के नेताओं को आगे आना होगा।

दरगाह ख्वाजा ग़रीब नवाज़ अजमेर शरीफ़ के सज्जादा नशीन सैयद तसव्वुर मियाँ चिश्ती ने कहा कि खानकाहें और सूफी हमेशा अत्याचार और आतंक के ख़िलाफ़ रहे हैं, इस्लाम किसी भी हाल में उपद्रव और ख़ून बहाने की अनुमति नहीं देता।


संवाददाता सम्मेलन में पंडित राधे श्याम बाजपई, पंडित दीपक मिश्रा, पंडित हरिओम शास्त्री, सज्जादा नशीन हसनैन बक़ाई, मौलाना रज़ा हुसैन, मौलाना शबाहत हुसैन और अन्य धर्मगुरुओं तथा बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
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