Archived

यहीं पर भेष बदलते थे क्रन्तिकारी, पंजाब सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित की इमारत

Special News Coverage
20 Jan 2016 9:41 AM GMT
Punjab Heritage Building


फिरोज़पुर (एच. एम. त्रिखा) : हिन्द पाक बार्डर हुसैनीवाला से 12 किलो मीटर की दूरी पर है शहर फिरोज़पुर। यहां अंग्रेज हुकूमत के साथ टककर लेने वाले रणबांकुरों का उस समय तूड़ी बजार में था एक गुप्त ठिकाना, जहां क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत का तख्ता पलटने के लिए अनेकों योजनाओं को अंजाम देकर अंग्रेज हुक्मरानो को देश छोड़ जाने पर मजबूर कर दिया था।

इसी गुप्त ठिकाने पर लिखी गई थी देश को आज़ादी दिलाने की गाथा :

आज ये ऐतिहासिक इमारत राष्ट्रीय धरोहर बन चुकी है। पंजाब सरकार ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। क्रन्तिकारी गया प्रसाद ने तूड़ी बजार में इस दो मंजिला इमारत को 10 अगस्त 1928 से 9 फ़रवरी 1929 तक किराये पर लेकर यहां अपने फर्जी नाम से दवा खाना खोले रखा व इस इमारत को आज़ादी की जंग का ऐतिहासिक हिस्सा बना दिया था।

यहीं पर भेष बदलते थे क्रन्तिकारी :
इसी इमारत में शहीदे आज़म सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, गयाप्रसाद , महावीर सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, शिव वर्मा, विजय कुमार चौहान ब्रिटश अफसरों से आँख बचा कर इसी ठिकाने पर आते जाते थे। यहीं पर क्रांतिकारी अपने भेष बदलते रात में आ कर छुपते थे। इसी स्थान को हिन्दुस्तान रिपब्कलिन सोशल आर्मी का कार्यालय बनाया गया।

सांडर्स हत्या कांड की यहीं रची गयी थी साजिश :
अंग्रेज अफसर सांडर्स की हत्या की योजना इसी इमारत में बनी थी। इसी इमारत में सिख सरदार भगत सिंह के दाढ़ी व सिर के बाल काट कर उन के सिर पर अंग्रेजी हैट रखी गई। क्रांतिकारी इस इमारत में पिस्तौल चलाने की रिहर्सल करते थे। बम बनाने का सामान, बम, पिस्तौल, हथियार व साहित्य भी क्रांतिकारियों ने यहीं रखे हुए थे। आज ये इमारत राष्ट्रीय इमारत घोषित है।

क्रांतिकारी स्वर्गीय गया प्रसाद के बेटे क्रांति ने पंजाब सरकार से अपील की है की वो शहीदों की राष्ट्रीय धरोहर घोषित इस इमारत का अब जल्द ही उद्द्घाटन भी कर दें। क्रांति का कहना है की 23 मार्च को शहीदे आज़म स. भगत सिंह राज गुरु, सुखदेव का शहीदी मेला हुसैनी वाला शहीदी समाधि स्थल पर लगता है। इस दिन की विशेष अहमियत है इस दिन ही इस ऐतिहासिक इमारत का उदघाटन किया जाये व तमाम शहीदों के वो परिवार यहां बुलाए जाएँ। क्रांति बोले की ऐतिहासिक इमारत को मियूजियम बना दिया जाये। यहां शहीदों की यादों को सजाया जाना चाहिए शहीदों का साहित्य भी यह सरकार रखे।
Next Story