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राघवेन्द्र ने 1090 को बना दिया था पैसा कमाने का अड्डा

Special News Coverage
16 Jan 2016 2:41 PM GMT
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संजय शर्मा
लखनऊः साथ लगे फोटो में कई महिलाओं के बीच खड़े इन साहब का नाम राघवेन्द्र हैं। यह वूमन पॉवर लाइन के कर्ता-धर्ता हैं। यूं तो वूमन पॉवर लाइन की कमान आईजी नवनीत सिकेरा के हाथ में है। मगर किसी से भी बात कीजिए तो सब कहते हैं कि सिकेरा की आत्मा राघवेन्द्र हैं।

गुंडागर्दी करने और अय्याशी करने का अड्डा
यही कारण है कि प्रदेश भर की महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए बनाए गए वूमेन पॉवर लाइन पैसा कमाने, गुंडागर्दी करने और अय्याशी करने का अड्डा बनता चला गया। इस पॉवर लाइन में गोली चली। ठेको को लेकर बदनामी हुई। कई महिलाओं से अभद्रता हुई और इन सबकी जड़ में यहीं राघवेन्द्र था। कोई और अधिकारी होता तो कब का निपट जाता, मगर राघवेन्द्र के सिर पर सिकेरा का हाथ था। सिकेरा खुद को सत्ता के करीबी होने का दावा करते हैं, लिहाजा राघवेन्द्र का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। मगर इस बार राघवेन्द्र ने अपनी हदें कुछ ज्यादा ही पार कर दी। एक किशोरी को अपने चंगुल में फांसने के लिए उसने उस लडक़ी को मैसेज करने शुरू किए और यही उसकी जिन्दगी की सबसे बड़ी गलती बन गई। अखबारों में खबर छपने के बाद भी राघवेन्द्र निश्ंिचत था कि उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। मगर इस बार जब सीएम अखिलेश यादव को पता चला कि उनके ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ ऐसा खिलवाड़ किया जा रहा है तो उन्होंने तत्काल सख्त कदम उठाने और वूमेन प्रभारी राघवेन्द्र को तत्काल हटाने के आदेश दिए।


होना तो यह चाहिए था कि इस मसले के बाद राघवेन्द्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था और उन्हें निलंबित करना चाहिए था, मगर एक बार फिर राघवेन्द्र को बचाने की मुहिम शुरू हो गई। राघवेन्द्र को उनके मूल विभाग रेडियो मेंटीनेंस में भेज दिया गया। मजे की बात यह है कि इसकी जांच नवनीत सिकेरा को दे दी गई, जो अब तक राघवेन्द्र को बचाते रहे हैं।


जाहिर है अभी से सबको पता चल गया है कि इस जांच में क्या होने वाला है। कई लोगों ने इस बात पर सवाल उठाया है कि आखिर राघवेन्द्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया और जांच सिकेरा को क्यों दी गई।


इससे पहले राघवेन्द्र ने एक विज्ञापन कंपनी को करोड़ों रुपये अनुचित लाभ पहुंचाया था। आरोप है कि बदले में इस कंपनी से बड़ी घूस ली गई। इस कंपनी को पूरे प्रदेश में यूनीपोल लगाने के ठेके दे दिए गए। बदले में सिर्फ इतनी शर्त रखी गई कि इन यूनीपोल के दूसरी तरफ 1090 का विज्ञापन लगाया जाएगा। जाहिर है कंपनी ने पूरे प्रदेश के सबसे प्रमुख जगहों पर यह यूनीपोल लगा दिए और एक तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियों के विज्ञापन लगाकर उनसे करोड़ों रुपये की वसूली की गई। इस राशि का भी बंदरबांट किया गया। नगर निगम ने इस यूनीपोल के खिलाफ कई बार पत्र लिखे कि यह अवैध ढंग से लगाए गए हैं। मगर सिकेरा साहब के रूतबे के आगे यह यूनीपोल नहीं हटाए गए।


कई बार शिकायतें हुई कि किसी लडक़ी के फोन के बाद दोषी लोगों को धमकाकर उनसे भारी राशि वसूली गई। अब देखना यह है कि सिकेरा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके राघवेन्द्र को बचा पायेंगे या नहीं।

नियमों के विरूद्ध कर दी गई तैनाती
राघवेन्द्र रेडियो मेंटीनेंस अफसर था। उसे काउंसलिंग करने का कोई अनुभव नहीं था। फिर भी उसको वूमेन पॉवर लाइन का प्रभारी बना दिया गया। यह बात कई बार सामने आई कि वूमन पॉवर लाइन का प्रभारी किसी महिला को ही होना चाहिए। पुलिस के आला अफसर तो यह भी कहते थे कि आईजी सिकेरा की जगह किसी महिला आईजी को ही वुमन पॉवर लाइन का प्रभारी बनाया जाना चाहिए था। मगर जब मामला सिकेरा साहब जैसे रसूख वाले अफसर से जुड़ा हो तो नियमों की बात भला कौन करे। लिहाजा राघवेन्द्र जैसे लोग वूमेन पॉवर लाइन में अपनी मनमर्जी चलाते रहे और वूमेन पॉवर लाइन वालीवुड के लोगों को घुमाने का अड्डा बन गया।

अपने प्रेमजाल में फंसाना चाहता था राघवेन्द्र
यूं तो राघवेन्द्र पर महिलाओं ने कई आरोप लगाए मगर इस बार लॉ की एक स्टूडेंट ने हिम्मत का परिचय दिया। इस स्टूडेंट को अभिषेक नामक एक युवक लगातार परेशान कर रहा था। छात्रा ने वूमेन पॉवर लाइन में इसकी शिकायत की। इसके बाद राघवेन्द्र ने पहले तो अभिषेक का पक्ष लेकर उसको धमकाना शुरू किया और बाद में खुद इस स्टूडेंट पर डोरे डालने लगा। उसने इस स्टूडेंट के वाट्सएप पर लगी उसकी डीपी की तारीफ करते हुए उससे कहीं बाहर मिलने की बात की। मगर इस बार स्टूडेंट ने हिम्मत का परिचय देते हुए इसकी शिकायत कर दी।
अखबारों में जब खबर छपी तब सीएम को पता चला और राघवेन्द्र के बुरे दिन शुरू हो गए।
साभार 4 PM कॉम
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