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कानपुर
लगातार जद्दोजहद कर रहे सेना के जवानों को आखिर बच्ची जीवित मिली है। बच्ची को तुरंत ही रेस्क्यू टीम अस्पताल ले गयी है। आखिर सभी की दुआ काम आई। और एक माँ की चीत्कार को सुन लिया ऊपर वाले ने।
देखें विडिओ
WATCH: 2-year old girl who fell into a 25 feet borewell in Kanpur, safely rescued in joint rescue ops by NDRF & Armyhttps://t.co/ypoIILyQvR
— ANI (@ANI_news) April 3, 2016
नवाबगंज के चिड़ियाघर के पीछे बोरवेल में गिरी बच्ची को बचाने के लिए आर्मी के जवान तीन घंटे से लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन खुशी को बाहर नहीं निकाल पाए। करीब 11 घंटे से जिंदगी और मौत से लड़ रही बच्ची को बचाने के लिए बरेली से इस रेस्क्यू की स्पेशल आर्मी की टीम हेलीकॉप्टर के जरिए मौके पर साजो-ए-सामान लेकर पहुंच गई है।
वहीं, सेना ने आते ही तीन जेसीबी मशीन के जरिए बोरवेल के बगल पर दो गड्डे खोदे। सुरंग भी बना ली, लेकिन स्थानीय सेना के जवानों के पास ऐसे ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए साज-ओ-सामान न होने के चलते बरेली कैंट से हेलीकॉप्टर के जरिए एक रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंचकर खुशी को बचाने के लिए जुट गई। अभी तक ऑक्सीजन के एक दर्जन सिलेंडर से बच्ची को ऑक्सीजन दिया जा रहा है। बगल में खोदे गए गड्डे से खुशी के रोने की आवाज सेना के जवानों को सुनाई दी। सेना ने डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अभी सकुशल हैं। बच्ची को पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है।
बताते चलें कि सुबह डेढ़ साल की छोटी सी गुड़िया खुशी की जिंदगी के लिए खतरा बनकर आई। अपनी मां के साथ खेलती खुशी अचानक 100 फुट गहरे बोरवेल में गिर गई। मल्टीस्टोरी की स्वायल टेस्टिंग के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) ने बोरवेल बनाया और बिना भरे ही छोड़ दिया। मासूम बच्ची को बचाने के लिए प्रशासन के साथ सेना ने कमान संभाली है। नवाबगंज मोहल्ले में चिडियाघर के पास घटी इस घटना के बाद हजारों लोगों की भीड़ मौके पर जुटी हुई है। खुशी के सकुशल बाहर आने के लिए दुआएं की जा रही हैं। खुशी का पिता सोनू दिहाड़ी मजदूर है। अपनी पत्नी श्यामा का इलाज कराने वह कानपुर आया था।
रविवार सुबह घर के पास मैदान में खुशी खेल रही थी। इसी दौरान 100 फुट गहरे बोरवेल में उसका पैर फिसला और वह नीचे चली गई। उसके गिरते ही चीख- पुकार मच गई। बस्ती के लोग बाहर आ गए। मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अफसर और क्षेत्रीय पुलिस मौके की तरफ भागे। तत्काल बचाव कार्य शुरू करा दिया गया। ऑक्सीजन के तीन सिलेंडरों से पाइप के जरिए जीवनरक्षक गैस नीचे पहुंचाई जा रही है। नीचे ठंडक बनी रहे, इसके लिए लागातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
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