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पीएम का भावुक होना नाटकबाजी थी - मायावती

Special News Coverage
25 Jan 2016 12:28 PM GMT
mayawati
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने जातिगत आरक्षण की समीक्षा पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बयान की निंदा करते हुए कहा कि भेदभाव, असमानता, शोषण और अन्याय अगर जाति पर आधारित हैं, तो उसका समाधान भी जातीय आधार पर ढूढऩा होगा।


मायावती ने कहा कि जिस देश व समाज में हर क्षेत्र में व हर स्तर पर जन्म के आधार पर जातिवादी व्यवहार का प्रचलन आम बात हो, वहां उस जात-पात के अभिशाप के संवैधानिक निदान को समाप्त करने की बात करना अन्याय, शोषण व उत्पीड़न एवं अमानीयवता को और ज्यादा बढ़ावा देना होगा।



मायावती ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अहमदाबाद में अधिकारियों और स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों की बैठक में शनिवार को जाति-आधारित आरक्षण की समीक्षा करने की जो बात कही गई है, वह एक मनुवादी सोच की ही उपज होने का शंका कााहिर करती है। वैसे भी यह सर्वविदित है कि आरएसएस की संकीर्ण व घातक मानसिकता रखने वालों द्वारा समीक्षा की बात करने का अर्थ उस व्यवस्था को समाप्त ही करना होता है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की जातिवादी उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने को मजबूर होने का मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया है कि एक उच्च संवैधानिक पद पर बैठी महिला ने अपने बयान से आग में घी डालने का काम किया है। इतना ही नहीं बल्कि रोहित वेमुला को अगर मरने के बाद भी न्याय नहीं मिला तो यही माना जायेगा कि प्रधानमंत्री का इस मामले में भावुक हो जाना एक नाटकबाजी थी। उनके आंसू वास्तव में घड़ियाली आंसू थे।


मायावती ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर कहा करते थे कि अंतरजातीय खानपान व अंतर जातीय विवाह आदि की इक्का-दुक्का घटनाओं से जाति व्यवस्था समाप्त होने वाली नहीं है। जाति एक मानसिकता है। यह एक प्रकार का मानसिक रोग है। हिन्दुत्व आधारित शिक्षाएं इस बीमारी का मुख्य कारण है। किसी भी चीज का स्वाद बदला जा सकता है, परन्तु जहर को अमृत कभी नहीं बनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि समाज में हजारों वर्षों से जाति के नाम पर चला आ रहा भेदभाव, असमानता, शोषण एवं अन्याय अगर जाति पर आधारित है, तो उसका समाधान भी जातीय आधार पर ढूढ़ना होगा।
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