Archived
प्रदेश के कद्दावर मंत्री की हकीकत! जो हमारा न हो सका वह किसी और का क्या होगा: शहज़ादेअली
Special News Coverage
15 May 2016 12:54 AM IST
रामपुर
उत्तर प्रदेश में एक ज़िला है रामपुर जहाँ एक लम्बे समय तक नवाबों ने शासन किया उसमे से कुछ अच्छे भी थे और कुछ बुरे। यहाँ बुरे से अर्थ है जिन्होंने जनता का शोषण किया। कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने विकास और रोज़गार के काम किये। उन सब में एक समानता थी वो कभी जनता के साथ जुड़ना नहीं चाहते थे जिन रास्तों पर एक आम इंसान चलता था उन पर वो चलना पसंद नहीं करते थे। (इसका एक बड़ा उदहारण यह है कि रामपुर के नवाबों की अपनी अलग एक रेलगाड़ी थी जो आज भी रामपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी है।)
यह वह वो दौर था जब रामपुर की जनता पर प्रत्यक्ष रूप से जुल्म हो रहा था। कोई आवाज़ बुलन्द करने वाला नहीं था जुल्म इतना बढ़ता जा रहा था कि लोग सिकुड़ने लगे थे। जनता नवाबों से मुक्ति तलाश कर रही थी और वो जीना चाहते थे ठीक वैसे ही जैसे अधिकार उन्हें संबिधान ने दिए हैं। और इन हालातो का फ़ायदा उठाने के लिए आज़म खान ले राजनीति में कदम रखा और अपने शब्दों का ऐसा मरहम लगया कि जनता को ओन मसीहा मिल गया। जिस इंसान को महीनो से पानी नहीं मिला हो उसके लिए तो ओस की एक बूंद भी अमृत होती है। और यही हल रामपुर की जनता का था लेकिन उस वक़्त यह अनुमान किसी ने नहीं लगाया होगा की एक बूंद ओस की कितनी बड़ी कीमत देनी होगी क्योंकि उस समय प्यास को शांत करने के अलावा कोई दूसरा बिकल्प ही नहीं था।
इधर आज़म खान पूरी तरह सोच समझ कर राजनीती में आये थे जो पहले से तय रणनीति थी उन पर काम शुरू कर दिया था। कहते हैं ख़रबूज़े को देख कर ख़रबूज़ा रंग बदलता है नवाबों का दौर उनका खाना पीना रहना उठाना बैठना सब कुछ देख रखा था। और इसका प्रभाव किसी भी इंसान पर पढ़ना मुमकिन है हर इंसान चाहेगा वो नवाबों के जैसा दिखे समाज में उसकी अलग पहचान हो, लोग उससे ख़ौफ़ खाएं, उसके सामने सर उठाने से डरें, जहाँ वो चले उन रास्तों पर कोई न चले और ऐसी ही बहुत सी आदतें आज़म खान के अंदर भी पल रहीं थी और धीरे धीरे वो बहार आने लगीं। पिछले 15 सालों से रामपुर में ऐसा लग रहा है जैसे नवाबों का दौर फिर से लोट आया है आज़म खान का नवाबों के खानदान से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है लेकिन वो उनके ही रास्तों पर चल रहे हैं। यदि आपको मेरी बातें गलत लग रही हैं तो आप मुझे बताएं के उत्तर प्रदेश के कितने मंत्री है जिनके घर से ओवर ब्रिज बना हुआ हो जिस पर सिर्फ वह खुद ही चल सकते हों कितने मंत्री ऐसे हैं जिनके बच्चों की सगाई दुबई जैसे मंहगे देश में होती हो। गांव के लोगों को मर पिट कर धमकी देकर उनकी ज़मीन छिनना सिर्फ अपने सपने पुरे करने के लिए आप मुझे बताएं यह सब संविधान के कौनसे पनने पर लिखा है। आपको याद होगा मंत्री जी खुद भी कह चुके हैं यहाँ कोई कानून नहीं मेरा कानून चलता है। इसका एक और नमूना पिछले कुछ दिन पहले देखने को मिल चुका है रामपुर ज़िले के अलिया गंज नाम के गांव में जिस तरह से प्रशासन ने मंत्री जी के कहने पर गरीब लोगों को मार पीटा जिसमे बच्चे औरते बुज़ुर्ग सभी थे और उन गरीब लोगों का जुल्म यह था कि वो अपने हक़ पर थे वो अपने घर तोड़े जाने का विरोध कर रहे थे। विकास के नाम पर आप अपने ज़ाति सपने पुरे करने का अधिकार नहीं रखते हैं। कोई मुझे बताये क्या संविधान इसकी अनुमति देता है.? नहीं यह सिर्फ तानाशाही में ही सम्भव है।फर्क सिर्फ इतना है नवाब प्रत्यक्ष रूप से जुल्म करते थे और मंत्री जी अप्रत्यक्ष रूप से कर रहे हैं।
Next Story