हैडिंग पढ़ते ही आपके माथे पर जरूर पसीना आ गया होगा। आना भी चाहिए क्योंकि पुरानी नोटबन्दी की पीड़ा और लंबी-लंबी लाइनों को आप भूले नहीं होंगे।