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कहते हैं कि दिल्ली उजड़ी तो लखनऊ आबाद हुआ और मीर तक़ी मीर की ज़िंदगी इस कहावत की जीती जागती मिसाल है
नुकात अल शोरा में मीर ने उनको अपना उस्ताद कहा है लेकिन ज़िक्र ए मीर में मीर जाफ़र अली अज़ीम आबादी और अमरोहा के सआदत अली ख़ान को अपना उस्ताद बताया है।सआदत अली ख़ान ने ही मीर को रेख़ता लिखने को प्रेरित...
22 Sept 2021 12:10 PM IST
पढ़िए, अब्बास ताबिश की ग़ज़ल : "इनसान था आख़िर तू मिरा रब तो नहीं था"
ताबिश' तिरा चेहरा मह-ए-नख़शब' तो नहीं था
12 Aug 2021 7:15 PM IST