उन्हें इस बात का मलाल है कि अपने बेटे और बेटी को उन्होंने आईआईटी के प्रवेश द्वार तक तो पहुंचा दिया लेकिन स्थानीय संस्कृति, संगीत और साहित्य से उन्हें रत्ती भर भी न जोड़ सके।