रचना शीर्षक - जिन्दगी मुझे खुद वापिस बुलाने लगी है।।विधा मुक्तक 1हक़ीक़त खुद ही मुझे आईनादिखाने लगी है।कौन दोस्त कौन दुश्मन अबबताने लगी है।।सुन रहा हूँ जबसे दिल कीआवाज़...