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नाम बदलकर चीन ने भारत में उतारे नए एप, क्या आप जानते है या नहीं?

Shiv Kumar Mishra
20 July 2020 5:50 AM GMT
नाम बदलकर चीन ने भारत में उतारे नए एप, क्या आप जानते है या नहीं?
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जितनी जल्दी सरकार इसे समझ कर अपनी रिसर्च क्षमता को रिजल्ट ओरिएंटेड और टाइम बाउंड करेगी उतनी ज्यादा वो विश्व मे अपनी भूमिका को मजबूत करती पाएगी।

भारत सरकार ने जहाँ चीन के एप बंद किये जाने की घोषणा की तो चीन को एक बड़ा मेसेज दिया गया है। जिसके बाद चीन के कई बड़ी कई बड़ी कंपनी अपने एप के नाम बदलकर मार्केट में आ चुकी है। क्या इससे भारतीय बेखबर है या फिर से भारत के डेटा को बड़ी चपत लगने वाली है।

चाइनीज एप नाम बदलकर फिर से इंडिया के टॉप 10 डाउनलोड में आ गए हैं। स्नैक वीडियो का स्वामित्व टेनसेंट समर्थित चीनी कंपनी क्वाइशोई के पास है। लाइकी लाइट की मालिक चीन की कंपनी जॉय इंक है। जिलि को स्मार्ट फोन निर्माता कंपनी शाओमी ने विकसित किया है।

एप ब्लॉक करना क्यूँ जरूरी था...

वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन के आँकड़े बताते हैं कि पिछले साल चीन ने अमेरिका से ज्यादा इंटरनेट एप्लिकेशन के पेटेंट की अर्जियां दाखिल की हैं। चीन की कंपनी Huawei लगातार तीसरे साल सबसे ज्यादा पेटेंट फाइल करने वाली ग्लोबल कंपनी बन गई है इसलिए जब चीन इस बाजार में विश्व में सबसे आगे है, तब उनकी कम्पनियों पर इस तरह की चोट ना केवल चीन के इंटरनेट ग्रोथ को कम करेगी बल्कि चीन की सरकार को वैश्विक तौर पर परेशान भी करेगी।

एप ब्लॉक करना केवल शुरुआती कदम है, अब भारत सरकार को दूसरे कदम उठाने पर ध्यान देना चाहिए। जैसे भारत सरकार के 2017-18 वाले आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि पिछले 20 वर्षों से रिसर्च पर देश की कुल आय या GDP की 0.7 प्रतिशत रकम ही खर्च की जा रही है। अब अंतर को देखिये क्योंकि चीन इस क्षेत्र में 2.1 प्रतिशत रकम खर्च कर रहा है।

हमारे अधिकतर विश्वविद्यालय एवं रिसर्च संस्थाएं केवल हाथी का दाँत बनी हुई हैं। जबकि अमेरिका और चीन अपने विश्वविद्यालयों की भूमिका की वजह से ही आज टॉप पर हैं। जब विश्व के अधिकांश बड़े देशों के विश्वविद्यालय पिछले 12 सालों से 4G-5G, साइबर अटैक, चाँद की प्रकृति और मानवीय संबंधों पर रिसर्च कर रहे थे तब हमारे विश्वविद्यालय हर साल समय से पेपर करवाने और छात्रों को सर्टिफिकेट बांटने के लिए वार्षिक उत्सवों के आयोजन के लिए फिक्रमंद थे।

आने वाले समय में डेटा, डॉलर से ज्यादा मूल्यवान होगा। सारे बड़े तनाव की वजह यही होगा। सर्वर, राजनीति और देशों के संबंधों को नियंत्रित करेंगे। जितनी जल्दी सरकार इसे समझ कर अपनी रिसर्च क्षमता को रिजल्ट ओरिएंटेड और टाइम बाउंड करेगी उतनी ज्यादा वो विश्व मे अपनी भूमिका को मजबूत करती पाएगी।

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