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बीएचयू के वैज्ञानिकों ने ग्रीन एनर्जी के लिए तैयार किया "हाइड्रोजन जनरेटर"
डीजल-पेट्रोल व अन्य पेट्रो पदार्थों के सीमित भंडार का विकल्प दुनियाभर के वैज्ञानिक तलाश रहे हैं। हाइड्रोजन इसका विकल्प माना जाता है मगर इसे बनाना और स्टोर करना अभी कठिन है। ऐसे में आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब तलाश लिया है। इनका बनाया "हाइड्रोजन जनरेटर" ग्रीन एनर्जी के बड़े विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
इस डिवाइस को "हाइड्रोजन जनरेटर" नाम दिया गया है। आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. राजेश उपाध्याय और उनकी टीम ने इसे तैयार किया है। मिथेनॉल और पानी के मिश्रण से यह डिवाइस हाइड्रोजन बनाती है। प्रो. उपाध्याय ने बताया कि हाइड्रोजन को लंबे समय से पेट्रो पदार्थों के विकल्प के रूप में देखा जाता है। मगर स्टोरेज कठिन होने के कारण यह गैस चलन में नहीं आ पा रही है। हाइड्रोजन जनरेटर इसका समाधान है।
जरूरत की जगह पर इस डिवाइस को लगाकर ऑन द स्पॉट हाइड्रोजन तैयार की जा सकती है। इसका इस्तेमाल डीजल जनरेटर और ईवी चार्जिंग स्टेशनों में किया जा सकता है। प्रोफेसर उपाध्याय ने बताया कि हम इस डिवाइस का आकार छोटा करने का प्रयास कर रहे है। ऐसा हो जाने पर इसे वाहनों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
एक मिनट में बनाएगी 60 लीटर हाइड्रोजन
प्रो. राजेश उपाध्याय ने बताया कि हाइड्रोजन जनरेटर की मदद से इस गैस का आसान और तेज उत्पादन संभव है। 50 मिलीलीटर मिथेनॉल और पानी के मिश्रण से यह एक मिनट में 60 लीटर हाइड्रोजन पैदा करेगी। जरूरत के हिसाब से इसकी उत्पादन क्षमता कम या ज्यादा भी की जा सकती है।
पेट्रो पदार्थों से सस्ता और आसान
हाइड्रोजन पेट्रो पदार्थों से सस्ता और आसान ईंधन है। बिजली के जनरेटर और चार्जिंग स्टेशन में इस ईंधन के इस्तेमाल से प्रदूषण 60 से 70 फीसदी तक कम और खर्च तिहाई हो जाएगा। मिथेनॉल 25 रुपये प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध हो सकता है। जबकि अन्य ईंधन इससे काफी ज्यादा महंगे हैं। इसके अतिरिक्त यह ईंधन साउंडलेस भी कहा जाता है।
हल्की होने के कारण मुश्किल है स्टोरेज
प्रो. उपाध्याय ने बताया कि ज्वलनशील और हल्की गैस होने के कारण हाइड्रोजन का स्टोरेज कठिन काम है। इसे 700 बार के (वायुमंडलीय दाब) पर रखना पड़ता है। हाई प्रेशर के कारण हादसे की आशंका भी बनी रहती है। हाइड्रोजन जनरेटर इस तरह के हादसों की आशंका भी कम करेगा।