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नेताओं, अधिकारियों की शान कहे जाने वाली एम्बेसडर कार नए लुक और फीचर्स में नजर आने वाली है।

Satyapal Singh Kaushik
29 Jun 2022 8:15 AM IST
नेताओं, अधिकारियों की शान कहे जाने वाली एम्बेसडर कार नए लुक और फीचर्स में नजर आने वाली है।
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हिंद मोटर फाइनेंशियल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (HMFCI) और फ्रांस की कार कंपनी Peugeot इसके डिजाइन और इंजन पर काम कर रही हैं। एंबेसेडर का नया मॉडल हिंदुस्तान मोटर्स (HM) के चेन्नई प्लांट में बनाया जाएगा।

कई दशक तक यह पीएम से लेकर डीएम तक की पसंदीदा कार रही एंबेसडर एक बार फिर धूम मचाने को तैयार है। अब इसे नए अवतार में उतारने की तैयारी चल रही है। हिंद मोटर फाइनेंशियल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (HMFCI) और फ्रांस की कार कंपनी Peugeot इसके डिजाइन और इंजन पर काम कर रही हैं। एंबेसेडर का नया मॉडल हिंदुस्तान मोटर्स (HM) के चेन्नई प्लांट में बनाया जाएगा। नए अवातर में इसे एंबी (Amby) नाम से जाना जाएगा और यह अगले दो साल में सड़कों पर आ सकती है। कभी भारत की सड़कों पर एंबेसडर की तूती बोलती थी। लेकिन मारुति के आने के बाद इसका जादू कम हो गया और कई साल तक यह केवल सरकारी खरीद पर जिंदा रही। साल 2014 में हिंदुस्तान मोटर्स (HM) ने भारी कर्ज और डिमांड की कमी का हवाला देते हुए एंबेसडर का प्रॉडक्शन बंद कर दिया था।

HMFCI सीके बिड़ला ग्रुप (CK Birla Group) की कंपनी है। एचएम इसी कंपनी के अंडर काम करती है। एचएम के डायरेक्टर उत्तम बोस ने बताया कि एंबेसडर को एंबी अवतार में लाने के लिए काम चल रहा है। नए इंजन के लिए मैकेनिकल और डिजाइन का काम एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है। एचएम के चेन्नई प्लांट से कभी मित्सुबिशी कारों का प्रॉडक्शन होता था जबकि उत्तरपाड़ा फैसलिटी में एंबेसडर बनाई जाती थी।

जानिए क्यों बंद हुआ था इसका उत्पादन

इस फैसलिटी से आखिरी एंबेसडर कार 2014 में निकली थी। साल 2014 में देश की सबसे पुरानी कार कंपनी एचएम ने भारी कर्ज और मांग की कमी का हवाला देते हुए एंबेसडर का प्रॉडक्शन बंद कर दिया था। एचएम के ऑनर सीके बिड़ला ग्रुप ने इस कार ब्रांड को 2017 में 80 करोड़ रुपये में फ्रेंच कंपनी को बेच दिया था। Peugeot भारत में पैर जमाने के लिए बेकरार है। इस कंपनी ने 1990 के दशक के मध्य में भारत में एंट्री मारी थी। यह भारत पहले पहल भारत आने वाली विदेशी कार कंपनियों में शामिल थी।

जानिए इतिहास

भारत में कार बनाने वाली पहली देशी कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ही थी। इसकी बुनियाद सीके बिड़ला के दादा बीएम बिड़ला ने रखी थी। आजादी के बाद 70 साल तक इसे एक तरह से सरकारी कार का दर्जा हासिल था। देश के प्रधानमंत्री से लेकर जिले के कलक्टर तक इसी कार की सवारी करते थे। लाल बत्ती इसकी असली पहचान थी। 1970 के दशक तक भारतीय बाजार में एंबेसडर और प्रीमियर पद्मिनी का ही जलवा था। तब एंबेसडर का मार्केट शेयर 75 फीसदी था। लेकिन 1983 में मारुति सुजुकी के बाजार में उतरने के बाद इसकी जादू फीका पड़ने लगा। कई साल तक यह सरकारी खरीद पर ही जिंदा रही।

Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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