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सोनिया गांधी पुत्र मोह त्याग कर लोकतंत्र बचाने को कदम बढ़ाएं
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने एक बार फिर राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा है. फेसबुक पर किए अपने पोस्ट के जरिए शिवानंद तिवारी ने सोनिया गांधी को वो दौर याद दिलाया जब उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी त्याग दी थी. वह लिखते हैं, 'आपने प्रधानमंत्री की कुर्सी का मोह त्याग कर कांग्रेस को बचाया था. आज उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पुत्र मोह त्याग कर देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम बढ़ाइए.'
'राहुल गांधी में क्षमता नहीं'
शिवानंद तिवारी ने शुक्रवार को किए अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि कांग्रेस पार्टी की बैठक होने जा रही है. पता नहीं उस बैठक का नतीजा क्या निकलेगा. लेकिन यह स्पष्ट है कि कांग्रेस की हालत बिना पतवार के नाव की तरह हो गई है. कोई इसका खेवनहार नहीं है.
उन्होंने आगे लिखा, 'राहुल गांधी अनिक्षुक राजनेता हैं. वैसे भी यह स्पष्ट हो चुका है कि राहुल गांधी में लोगों को उत्साहित करने की क्षमता नहीं है. जनता की बात तो छोड़ दीजिए, उनकी पार्टी के लोगों का ही भरोसा उन पर नहीं है. इसलिए जगह-जगह के लोग कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ रहे हैं.'
'पार्टी को खींच रही हैं सोनिया'
हालांकि सोनिया गांधी की तारीफ करते हुए तिवारी ने कहा, 'खराब स्वास्थ्य के बावजूद बहुत ही मजबूरी में सोनिया गांधी कामचलाऊ अध्यक्ष के रूप में किसी तरह पार्टी को खींच रही हैं. मैं उनकी इज्जत करता हूं. मुझे याद है सीताराम केसरी के जमाने में पार्टी किस तरह डूबती जा रही थी. वैसी हालत में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी और पार्टी को सत्ता में पहुंचा दिया था.'
तिवारी ने कहा कि उनके विदेशी मूल को लेकर तब काफी बवाल हुआ था. बीजेपी की बात छोड़ दीजिए, कांग्रेस पार्टी में भी उनके नेतृत्व को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया गया था. शरद पवार आदि उसी जमाने में सोनिया के विदेशी मूल के ही मुद्दे पर पार्टी से अलग हुए थे.
2004 के आम चुनाव का जिक्र करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा, 'हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिला बहुमत सोनिया गांधी के ही नेतृत्व में मिला था. इसलिए सोनियाजी ही प्रधानमंत्री की कुर्सी की स्वभाविक अधिकारी थीं. लेकिन उनका प्रधानमंत्री नहीं बनना असाधारण कदम था. उसी कुर्सी के लिए हमारे देश के दो बड़े नेताओं ने क्या-क्या नाटक किया था, हमारे जेहन में है.'
उन्होंने आगे लिखा, 'अपनी जगह पर मनमोहन सिंह को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया था. यूपीए के नेताओं का उनके नाम पर समर्थन पाने के लिए वे सबसे उनको मिला रही थीं. उसी क्रम में मनमोहन सिंह को लेकर लालू प्रसाद का समर्थन हासिल करने के लिए उनके तुगलक लेन वाले आवास पर आई थीं. संयोग से उस समय मैं वहां उपस्थित था. बहुत नजदीक से उनको देखने का अवसर उस दिन मुझे मिला था. प्रधानमंत्री की कुर्सी त्याग कर आई थीं. उस दिन का उनका चेहरा मुझे आज तक स्मरण है.'
'सोनिया गांधी के सामने यक्ष प्रश्न- पार्टी या पुत्र'
सोनिया गांधी के उस समय के वक्त को याद करते हुए शिवानंद तिवारी आगे लिखते हैं, 'उनके चेहरे पर आभा थी! त्याग की आभा उनके चेहरे पर दमक रही थी. अद्भुत शांति उनके चेहरे पर थी. लालू प्रसाद ने मेरा उनसे परिचय कराया. मैंने बहुत ही श्रद्धा के साथ उनको प्रणाम किया था.'
'आज उन्हीं सोनिया गांधी के सामने एक यक्ष प्रश्न है. 'पार्टी या पुत्र'? या यूं कहिए कि 'पुत्र या लोकतंत्र'? कांग्रेस पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. मैं नहीं जानता हूं कि मेरी बात उन तक पहुंचेगी या नहीं. लेकिन देश के समक्ष जिस तरह का संकट मुझे दिखाई दे रहा है वही मुझे अपनी बात उनके सामने रखने के लिए मजबूर कर रहा है. कांग्रेस पार्टी आज के दिन भी क्षेत्रीय पार्टियों से ऊपर है. कई राज्यों में वही बीजेपी के आमने-सामने है. इसलिए वह जनता की नजरों में विश्वसनीय बने, मौजूदा सत्ता का विकल्प बने, यह लोकतंत्र को और देश की एकता को बचाने के लिए जरूरी है.'
शिवानंद तिवारी ने आगे लिखा, 'अतः मेरे अंदर का पुराना राजनीतिक कार्यकर्ता मुझे बोलने के लिए दबाव दे रहा है. संभव है, जिस पार्टी में मैं हूं, उसका नेतृत्व मेरी इस बात को पसंद नहीं करें. लेकिन अब मैं किसी के पसंद और नापसंद से ज्यादा अहमियत अपनी आत्मा के आवाज को देता हूं. और उसी की आवाज के अनुसार मैं सोनिया गांधी से नम्रतापूर्वक अपील करता हूं कि जिस तरह से आपने प्रधानमंत्री की कुर्सी का मोह त्याग कर कांग्रेस को बचाया था. आज उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पुत्र मोह त्याग कर देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम बढ़ाइए.
शिमला में पिकनिक मना रहे थे राहुलः शिवानंद
इससे पहले RJD नेता शिवानंद तिवारी बिहार चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद भड़ास निकालते हुए कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस पार्टी महागठबंधन के लिए बाधा बन गई. कांग्रेस ने 70 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, लेकिन 70 रैलियां भी नहीं कीं. राहुल गांधी बिहार में केवल 3 दिन के लिए आए. प्रियंका गांधी वाड्रा नहीं आईं क्योंकि वो बिहार से उतना परिचित नहीं थीं.
उन्होंने अपने तीखे अंदाज में कहा कि बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज थी और राहुल गांधी शिमला में प्रियंका गांधी के घर पिकनिक मना रहे थे. क्या पार्टी ऐसे चलती है? कांग्रेस पार्टी जिस तरह से चलाई जा रही है, उससे बीजेपी को फायदा हो रहा है.