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बच्चों के विकास के समग्र खर्च में 22.7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि- उपमुख्यमंत्री
पटना। उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि राज्य में बच्चों के विकास को लेकर वर्ष 2013-14 से 2019-20 के बीच समग्र खर्च में 22.7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से राशि खर्च की गयी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में 0-18 वर्ष की उम्र वाले बच्चों की आबादी पांच करोड़ है। इन बच्चों का 90 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है।
उन्होंने कहा कि हमलोगों को उनके विकास को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए, जिससे वे भविष्य में सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ सकें। उपमुख्यमंत्री तारकिशोर गुरुवार को स्थानीय होटल में बाल बजट निर्माण के लिए मैनुअल के लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस मैनुअल को वित्त विभाग और यूनिसेफ, बिहार के साथ मिलकर एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) द्वारा तैयार किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के विकास से बिहार का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित होगा। बिहार देश के उन तीन राज्यों में से एक है जहां 2013-14 में ही बाल बजट का निर्माण शुरू हुआ है। श्री प्रसाद ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में बच्चों के लिए आवंटन और व्यय में लगातार वृद्धि हुई है। बिहार सरकार कन्या उत्थान योजना जैसी योजनाओं की सहायता से लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए गंभीरता से काम कर रही है। बहुत सारे नए स्कूल खोले गए हैं, जिससे बच्चों की छीजन दरों में कमी आ गई है।
इस मौके पर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि बाल बजट में लड़कियों के लिए एक अलग अध्याय होना चाहिए और इसकी प्रगति का लगातार अनुश्रवण किया जाना चाहिए। बिहार में अधिकांश माता-पिता 14 साल उम्र होते ही अपनी लड़की की शादी कर देने की सोचते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए बिहार सरकार लड़कियों को स्नातक तक पढ़ाने में मदद देने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। इससे लड़कियों का सशक्तीकरण करने और प्रजनन दर घटाने में मदद मिलेगी। उनका सुझाव था कि इस बाल बजट निर्माण अभ्यास के परिणाम को मापने के लिए अध्ययन होने चाहिए।
बिहार यूनिसेफ कार्यालय की प्रधान नफीसा बिंते शफीक ने कहा कि आरंभ में बाल बजट में 8 विभाग शामिल थे लेकिन आज उसके लिए 11 विभाग सूचनाएं देंगे। बिहार सरकार द्वारा हासिल महत्वपूर्ण विकासमूलक लाभों को कोविड के प्रकोप के कारण खतरा पहुंच रहा है। आद्री के सदस्य सचिव डॉ. प्रभात पी. घोष ने स्वागत भाषण में कहा कि शिशु मृत्यु दर की बात करें, तो इस मामले में बिहार राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष पहुंच रहा है लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा नहीं है। यूनीसेफ के प्रशांत ऐश ने प्रथम सत्र के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
दूसरे सत्र में आद्री स्थित सीईपीपीएफ की सहायक प्राध्यापक डॉ. बर्ना गांगुली ने बाल बजट मैनुअल, 2021 की भूमिका सामने रखी। उन्होंने बताया कि किस तरह से बाल बजट मैनुअल लाना संभव हो पाया और संबंधित विभागों को बाल बजट तैयार करने में इससे कैसे मदद मिलेगी। योजना एवं विकास विभाग के पूर्व अपर निदेशक प्रमोद कुमार वर्मा ने बाल बजट से संबंधित सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के 21 सूचकों पर केंद्रित करके अपनी बातें रखीं। वित्त विभाग के बजट अधिकारी-सह-उप-सचिव संजीव मित्तल ने बाल बजट निर्माण की प्रक्रिया को लेकर नोडल अधिकारियों को प्रशक्षिण दिया। आद्री के सुदीप कुमार पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।