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ज्ञानवापी सर्वे रिपोर्ट की 4 बातों से हिंदुओं का दावा मजबूत, मुस्लिम पक्ष की कमजोर पड़ीं दलीलें
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिला काले रंग का पत्थर शिवलिंग है या फव्वारा? उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इस समय यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। तीन दिन तक मस्जिद परिसर में सर्वे के बाद रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी गई है। इसमें एक तरफ जहां मस्जिद परिसर में जगह-जगह स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू, कमल और शेषनाग जैसे हिंदू प्रतीक चिह्नों के मिलने की बात कही गई है तो वजूखाने में मिले पत्थर के बारे में विस्तार से बताया गया है। मौके पर मिले साक्ष्य और दोनों पक्षों में उस समय हुई बातचीत का जो ब्यौरा दिया गया है, उससे हिंदुओं की दलीलें मजबूत होती दिख रही हैं तो मुस्लिम पक्ष के दावों पर नए सवाल खड़े हो गए हैं।
वजूखाने में पत्थर मिलने पर क्या कहा गया है रिपोर्ट में?
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वनाथ मंदिर के अधिवक्ता रवि कुमार पांडेय और वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी के बताए जाने पर वजू स्थल में जाकर देखा गया तो वहां एक कुंड मिला जो करीब 3 फीट गहरा और पानी से भरा हुआ है। इसमें सैकड़ों मछलियां भी दिखाई दे रही हैं। इसमें 30 टोटियां लगी हैं। इन टोटियों का पानी कुंड में बहता है। इसमें पानी कम करने पर गोल पत्थरनुमा आकृति दिखाई दी, जिसकी ऊंचाई 2.5 फीट रही होगी। इसे वादी पक्ष ने शिवलिंग बताया तो प्रतिवादी के अधिवक्ता ने कहा कि यह फव्वारा है।
कितने समय से बंद है फव्वारा, सटीक जवाब नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्थर को फव्वारा बताए जाने पर वकील कमिश्नर ने प्रतिवादी संख्या 4 अंजूमन इंतजामिया के मुंशी ऐजाज मोहम्मद से पूछा कि यह फव्वारा कब से बंद है। उन्होंने कहा कि काफी समय से बंद है। फिर कहा कि 20 साल से बंद है, फिर बाद में कहा कि 12 साल से बंद है।
चलाकर दिखाने से किया मना
रिपोर्ट में कहा गया है कि वादी पक्ष के वकील ने मांग रखी कि मुंशी फव्वारे को चलाकर दिखाएं तो ऐजाज अहमद ने असमर्थता जाहिर की। गौरतलब है कि हिंदू पक्ष के वकीलों ने सर्वे के बाद भी चुनौती दी है कि यदि यह फव्वारा है तो इसे चलाकर दिखाया जाए।
फव्वारा है तो पाइप की जगह क्यों नहीं?
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्थर के ऊपर एक आधे से कम इंच का छेद मिला है, जो 63 सेंटीमीटर गहरा था। इसके अलावा कोई छेद किसी भी साइ में या किसी भी अन्य स्थान पर नहीं मिला। फव्वारा के लिए पाइप घुसाने का स्थान नहीं है।
अलग से लगाया गया है पत्थर, आकार शिवलिंग जैसा
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि गोलाकार पत्थर के टॉप पर अलग से सफेद पत्थर लगाया गया है, जिस पर बीच में 5 खाने 5 दिशाओं में बने हैं। इस पत्थर के नीचे लगभग ढाई फीट ऊंची गोलाकार आकृति एक पीस दिख रही थी जिसकी सतह पर अलग प्रकार का घोल चढ़ा हुआ प्रतीत हुआ, जो थोड़ा-थोड़ा कहीं से चटका हुआ भी था। इस पर पानी में डूबे रहने के कारण काई जमी थी। काई साफ कराने पर काले रंग की आकृति निकली। वादीगण ने इसे शिवलिंग बताया। सामान्य रूप से बड़े शिवलिंग का जो आकार होता है वैसा ही आकार इसका प्रतीत होता है। लेकिन टॉप पर अलग गोलाकार मैटेरियल का पत्थर रखा गया है, जिस पर पांच-पांच खाने बने हुए हैं।''