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8 करोड़ खर्च हुए, 8 महीने इलाज चला, कोरोना पॉजिटिव हुए किसान की नही बची जान

सुजीत गुप्ता
13 Jan 2022 11:56 AM IST
8 करोड़ खर्च हुए, 8 महीने इलाज चला,  कोरोना पॉजिटिव हुए किसान की नही बची जान
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मध्य प्रदेश के रीवा में आठ महीने पहले कोरोना संक्रमित हुए एक किसान के इलाज में आठ करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। रीवा के किसान धर्मजय सिंह को आठ महीने पहले अप्रैल में शहर के संजय गांधी अस्पताल में ऐडमिट कराया गया था, जहां से उन्हें फेफड़े में ज्यादा संक्रमण होने की वजह से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में रेफर कर दिया गया। आठ महीने तक चले इलाज को कराने में परिवार की 50 एकड़ जमीन बिक गई, लेकिन धर्मजय की जान नहीं बच सकी।

लंदन के डॉक्टर भी हुए फेल

रीवा के रकरी गांव में रहने वाले धर्मजय के इलाज में देश के कई नामी डॉक्टरों के अलावा लंदन के डॉक्टर भी लगे थे। लेकिन किसी भी तरह से उनकी जान नहीं बचाई जा सकी और मंगलवार की रात में धर्मजय ने दम तोड़ दिया। बता दें कि प्रदेश में धर्मजय को एक प्रगतिशील किसान के तौर पर जाना जाता था। मध्य प्रदेश के विंध्य इलाके में गुलाब और स्ट्रॉबेरी की खेती कर उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई थी।

हर दिन खर्च हो रहे थे तीन लाख

साल 2021 में 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर सूबे के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एसएफ ग्राउंड में धर्मजय को सम्मानित भी किया था। अस्पताल में एडमिट होने के बाद धर्मजय की हालात लगातार बिगड़ती जा रही थी। धर्मजय के बड़े भाई प्रदीप सिंह के मुताबिक, उनके इलाज में करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हो गए और इसके लिए उन्होंने अपनी करीब 50 एकड़ जमीन भी बेच डाली। धर्मजय के इलाज के लिए सरकार की ओर से चार लाख रुपये की मदद भी मिली लेकिन उनके इलाज का हर दिन का खर्च एक से तीन लाख का था।

स्ट्रॉबेरी और गुलाब की खेती करते थे धर्मजय सिंह

धर्मजय सिंह की गिनती प्रदेश के प्रगतिशील किसानों में होती थी। मऊगंज क्षेत्र के रकरी गांव के रहने वाले धर्मजय सिंह की पूरे प्रदेश में अलग पहचान थी। वह स्ट्रॉबेरी और गुलाब की खेती से विंध्य इलाके में अलग पहचान बनाई थी।

दो मई 2021 को रिपोर्ट आई थी पॉजिटिव

परिजनों के अनुसार अचानक तबीयत खराब होने के बाद 30 अप्रैल 2021 को कोविड-19 की जांच कराई। दो मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 18 दिन उपचार चलने के पश्चात बेहतर उपचार के लिए एयर एंबुलेंस से चेन्नई की अपोलो अस्पताल ले जाया गया था। करोना के संक्रमण से महज चार दिन के अंदर ही ठीक हो गए थे। मगर फेफड़ा 100 फीसदी संक्रमित हो गया था। इसके बाद अस्पताल में इन्हें एक्मो मशीन की मदद से नया जीवन देने की कोशिश की जा रही थी।

एक सप्ताह पहले अचानक से कम हो गया बीपी

एक सप्ताह पहले अचानक से उनका बल्ड प्रेशर कम हो गया था। अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करा दिया, यहां उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। इतनी अधिक बीमारियां होने के कारण वह ठीक नहीं हो पाए। 8 महीने उपचार चलने के बाद उनकी चेन्नई के अस्पताल मौत हो गई। परिवार के लोगों ने बताया है कि इस इलाज के दौरान आठ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। एक्मो मशीन का खर्च ही हर दिन दो से तीन लाख रुपये था। वेंटिलेटर फेल हो जाने के बाद मरीज को एक्मो मशीन की जरूरत पड़ती है। इलाज में किसान धर्मजय सिंह के परिवार वालों ने 50 एकड़ जमीन बेच दी।

किसान धर्मजय सिंह के बड़े भाई प्रदीप सिंह एडवोकेट हैं। उन्होंने कहा है कि हमने अपने भाई को बचाने की पूरी कोशिश की। आठ करोड़ रुपये खर्च कर इलाज कराया है। पैसे की कमी को पूरा करने के लिए 50 एकड़ जमीन बेच दी। फिर भी भाई को नहीं बचा पाए। सरकार से भी ज्यादा मदद नहीं मिली है। इलाज के लिए सरकार की तरफ से चार लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली। हर दिन उनके इलाज पर एक से तीन लाख रुपये का खर्च आता था। भाई ने बताया कि उन्होंने कोविड महामारी के दौरान लोगों की सेवा खूब की थी। इसी दौरान संक्रमित हुए थे।

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