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मुख्यमंत्री को हराने के बाद भाजपा के बागी उन्हें जेल भेजने में लगे हैं
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जमशेदपुर से कवि कुमार की रिपोर्ट
पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर ज्यादातर लोगों की मुख्य चिन्ता यह है कि भाजपा जहां सत्ता में है वहां सत्ता बचा पाएगी कि नहीं और जहां नहीं है वहां सत्ता पर कब्जा पाएगी कि नहीं। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा ही सबकी चिन्ता है - जीते या हारे। ऐसे में जहां भाजपा हार गई वहां क्या हाल है और हारे हुए मुख्यमंत्री उम्मीदवार की राजनीतिक स्थिति क्या है यह जानना दिलचस्प होगा। आपको याद होगा कि झारखंड में भाजपा चुनाव तो हार ही गई थी उसके मुख्यमंत्री भाजपा के ही बागी सरयू राय से अपने ही गढ़ में बुरी तरह हार गए थे।
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक, झारखंड के पूर्व मंत्री, ' पॉलीटिशियन विद अ डिफरेंस' सरयू राय के राजनीतिक भविष्य में बहुत सारे अगर-मगर जुड़ गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण तो यही है कि निर्दलीय रहते हुए क्या वे फिर चुनाव जीत पाएंगे या किसी दल में चले जाएंगे। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि चुनाव जीतने के लिए पार्टी उम्मीदवार होना मददगार तो होता ही है और भाजपा जैसी पार्टी के बागी का लगातार दो बार जीतना संभव होगा? ऐसे में बागी के रूप में दोबारा जीतने के लिए या अपना राजनीतिक वजूद बनाए रखने के लिए सरयू राय क्या करते हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है।
कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें मुख्यमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरयू राय अपना काम पूरी गंभीरता से कर रहे हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन अपनी छवि बचाने के लिए रघुवर दास के खिलाफ कदम उठाने पर मजबूर किए जा सकते हैं। खबर है कि उन्होंने रघुवर दास के एक घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंप दी है। यह घोटाला गायिका निधि चौहान के कार्यक्रम एवं झारखंड स्थापना दिवस पर छात्रों को टॉफी बांटने एवं टी-शर्ट बांटने से संबंधित है। निर्दलीय विधायक सरयू राय का आरोप है कि गायिका निधि चौहान ने सरकारी रुपए लेकर रघुवर दास के सूर्य मंदिर में छठ के दौरान कार्यक्रम पेश किया। दूसरे आरोप के बारे में विधायक सरयू राय का कहना है कि झारखंड के बच्चों को टॉफी और टी-शर्ट नहीं बांटी गई और सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए निकाल लिए गए।
इस या किसी और मामले में अगर मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच हुई और वे फंस गए तो उसका लाभ निश्चित रूप से सरयू राय को मिलेगा और वे एक सक्रिय व लोकप्रिय राजनीतिज्ञ साबित होंगे। पिछले चुनाव में सरयू राय की जीत का सबसे बड़ा कारण था सहानुभूति लहर। तब के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे कि आम जनता की सहानुभूति सरयू राय से हो गई थी। ऐसे में यह ठीक ही है कि सरयू राय रघुवर दास से हिसाब बराबर करने की कोशिश करेंगे। 2024 में क्या हो सकता है इसपर अभी अटकल लगाना बेकार है लेकिन सरयू राय अपने विरोधी के खिलाफ पूरी तरह सक्रिय हैं। यह खबर है और हारने या हार सकने वालों के लिए चिन्ताजनक भी।
भाजपा नेतृत्व अपने चहेते मुख्यमंत्री को बचाने के लिए क्या करता है यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा। झारखंड में भाजपा के एक मजबूत स्तंभ, रघुवर दास को राजनीतिक रूप से कमजोर करने का आसान तरीका यह है कि वे किसी घोटाले में जेल चले जाएं। इसके लिए सरयू राय उनके खिलाफ सबूत इकट्ठे करके किताबें प्रकाशित किए जा रहे हैं तथा रघुवर दास के कई घोटाले की बात उन्होंने विधानसभा में भी उठाई है। कहने की जरूरत नहीं है कि सरयू राय की कामयाबी से दूसरे मामले में भी लोगों को सीख मिलेगी। इसलिए घटिया हो चुकी राजनीति के दिलचस्प होने की उम्मीद भी है।