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आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी की सियासत के लिए अपनी भूमिका तय कर ली। उन्होंने आजमगढ़ से लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और मैनपुरी की करहल सीट से बतौर विधायक यूपी के अखाड़े में राजनीति करने का निर्णय सार्वजनिक कर दिया। मंगलवार को लोकसभा स्पीकर को इस्तीफा सौंपने वाले अखिलेश यादव ने बताया है कि क्यों उन्होंने करहल से विधायक बने रहने का फैसला किया है। साथ ही आजमगढ़ से भी तरक्की के लिए काम करते रहने का भी वादा किया है।
अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट किया, ''विधानसभा में उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों ने हमें नैतिक जीत दिलाकर 'जन-आंदोलन का जनादेश' दिया है। इसका मान रखने के लिए मैं करहल का प्रतिनिधित्व करूंगा और आजमगढ़ की तरक्की के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूंगा। महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए ये त्याग जरूरी है।''
गौरतलब है कि 10 मार्च को घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। 402 सीटों में से सपा गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गई। वही भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत हासिल करके एक बार फिर सत्ता पर कब्जा किया है।
पहले भी दिया था आजमगढ़ के कार्यकर्ताओं को संदेश
करहल से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से अखिलेश यादव के मन में आजमगढ़ को लेकर दुविधा की स्थिति थी। पहली बार करहल में छह मार्च को जनसभा करने आए अखिलेश ने मंच से यह संदेश भी दिया था। उन्होंने कहा था कि आजमगढ़ के कार्यकर्ता मायूस न हों, करहल और सैफई मेरा घर है, आजमगढ़ भी दूर नहीं है। आजमगढ़ भी मेरा घर ही है।
होली पर कार्यकर्ताओं ने की थी अपील
करहल विधानसभा क्षेत्र के सेक्टर और बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं के साथ अखिलेश यादव ने 19 मार्च को सैफई में बैठक की थी। इसमें होली की शुभकामनाओं के साथ ही आगे की रणनीति पर भी मंथन हुआ था। इसमें कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव से अपील की थी कि वे करहल की सीट न छोड़ें।