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काम नहीं आई मानशिंदे की एक भी दलील, आर्यन, अरबाज और मुनमुन की जमानत याचिका खारिज
शाहरुख खान के बेटे आर्यन की जमानत याचिका खारिज हो गई है। किला कोर्ट ने कहा कि उसे जमानत याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। जमानत के लिए आर्यन को सेशंस कोर्ट में अपील करनी होगी।
किला कोर्ट में इनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को दोपहर करीब 12.45 बजे सुनवाई शुरू हुई थी, जो 2.15 बजे तक चली। ब्रेक के बाद दोपहर 3 बजे सुनवाई दोबारा शुरू हुई। जांच एजेंसी और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद किला कोर्ट ने शाम 5 बजे जमानत की याचिका खारिज कर दी।
इस बीच NCB ने आर्यन समेत सभी 6 मेल आरोपियों को आर्थर रोड जेल और दोनों फीमेल आरोपियों को भायखला जेल भेज दिया है। आर्यन को क्वारैंटाइन सेल में रखा गया है। वैसे तो उनका RTPCR टेस्ट नेगेटिव आया है, लेकिन जेल की नई गाइडलाइंस के मुताबिक 7 दिन क्वारैंटाइन सेल में रखने का नियम है।
कोर्ट ने गुरुवार को सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था, लेकिन सुनवाई देर तक चली थी और शाम 6 बजे के बाद जेल में एंट्री नहीं होती, इसलिए आर्यन समेत 8 आरोपियों को NCB के लॉकअप में ही रखा गया था।
इस मामले में दोनों पक्षों ने अलग-अलग केसों का हवाला देकर कहा कि जमानत अर्जी पर सुनवाई इस कोर्ट में होनी चाहिए या नहीं। इस दौरान आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा कि अगर विवाद है तो जज को यह केस हायर बेंच को रेफर कर देना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ऐसा नहीं हुआ।
मानशिंदे ने दलील दी कि ड्रग्स की कम मात्रा के केसों में हाईकोर्ट जमानत दे देता है, फिर मेरे क्लाइंट के पास तो कुछ भी नहीं मिला है। साथ ही ये भी कहा कि इस केस में केंद्र सरकार इतनी उतावली क्यों हैं? उन्हें जवाब देते हुए ASG अनिल सिंह ने कहा कि आप ऐसा नहीं कह सकते।
आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे क्या क्या रखी दलील
ASG अनिल सिंह: हम मेंटेनेबिलिटी के आधार पर मुद्दे उठा रहे हैं। इसलिए पहले उनका जवाब दें।
आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे: एक स्टेज पर सभी दलीलें दी जाएंगी।
ASG: ऐसा नहीं हो सकता।
मानशिंदे: आप कोर्ट को आदेश नहीं दे सकते।
ASG: जब मेंटेनेबिलिटी की बात हो चुकी है तो इसे पहले सुना जाना चाहिए।
मानशिंदे: हमने पूरी तरह रिमांड से जुड़ी दलीलें पेश की हैं, मेंटेनेबिलिटी से जुड़ी नहीं।
मानशिंदे से कोर्ट: आप अपनी दलीलें मेरिट और मेंटेनेबिलिटी के आधार पर दीजिए, जो कहना है पहले वो फाइल करें, फैसला हम करेंगे।
ASG: कृपया ऐसा मत कहिए, आमतौर पर जो मेंटेनेबिलिटी का मुद्दा पहले उठाता है, वही पहले दलील रखता है। उसके बाद दूसरा पक्ष जवाब देता है।
कोर्ट: आरोपी पूरी डिटेल के साथ अर्जी दाखिल कर चुके हैं।
ASG: लेकिन यह प्रक्रिया नहीं है। क्या मैं सही प्रक्रिया की बात नहीं कर सकता?
कोर्ट: ठीक है, हम समझते हैं, आप अपनी एप्लिकेशन फाइल कीजिए।
मानशिंदे: हाल के सालों में ऐसी चीजें नहीं देखी गई हैं। ये चौंकाने वाली बात है कि जिसके पास कुछ नहीं मिला कोर्ट ने उसकी जमानत खारिज कर ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया हो।
ASG: अगर एक मामले में 10 आरोपी हैं, एक ही FIR है तो भले ही एक आरोपी के पास कम मात्रा में ड्रग्स मिली हो और दूसरों के पास नहीं मिली तो इन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता।
मानशिंदे: NDPS की धारा 37 के तहत मेरे क्लाइंट के ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं है। मिलॉर्ड अगर यह मेंटेनेबेल है तो आप जमानत दे सकते हैं। कृपया 2006 का हाईकोर्ट का फैसला देखिए। ऐसे मामलों में जमानत को लेकर हाईकोर्ट का रुख हमेशा लचीला रहा है।