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आजीवन क्यों कुंवारे रह गए अटल बिहारी वाजपेयी?

सुजीत गुप्ता
25 Dec 2021 12:47 PM IST
आजीवन क्यों कुंवारे रह गए अटल बिहारी वाजपेयी?
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भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है. उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया. जीवन में आने वाली हर विषम परिस्थितियों और चुनौतियों को स्वीकार किया. नीतिगत सिद्धांत और वैचारिकता का कभी कत्ल नहीं होने दिया. राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण वे आजीवन कुंवारे रहे. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी अपनी मुखरता और हाजिर जवाबी की वजह से जाने जाते थे। उनकी स्पष्टवादिता और बोलने के अंदाज के विपक्षी भी कायल थे। उनकी स्पष्टवादिता के कई ऐसे किस्से हैं, जिन्हें हमेशा ही याद रखा जाएगा। ऐसा ही वाकया उनकी शादी को लेकर है। उनसे एक महिला पत्रकार ने पूछा था कि वे कुंवारे क्यों हैं, इस पर अटल बिहारी के जवाब ने वहां मौजूद सभी लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया था। आईए जानते हैं वो किस्सा...

पूर्व पीएम अटल बिहारी की कटुता ऐसी थी, कि वे सामने वाले की बोलती बंद कर देते थे। एक बार एक महिला पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप कुंवारे क्यों हैं?

इस पर वाजपेयी ने तुरंत जवाब दिया, आदर्श पत्नी की खोज में। इस पर पत्रकार ने पूछा, मिली या नहीं।

अटलजी बोले- मिली तो थी, लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी। ये सुनते ही वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे।

अटलजी के बारे में बताया जाता है कि उनकी बात का कोई बुरा नहीं मानता था। यहां तक की कई बार उनके भाषण पर विपक्षी दल के नेता ताली बजाने लगते थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक कुशलता से भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया. दो दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर उन्होंने राजग बनाया जिसकी सरकार में 80 से अधिक मंत्री थे, जिसे जम्बो मंत्रीमंडल भी कहा गया. इस सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में कभी भी आक्रमकता के पोषक नहीं थे. वैचारिकता को उन्होंने हमेशा तवज्जो दिया. अटलजी मानते हैं कि राजनीति उनके मन का पहला विषय नहीं था. राजनीति से उन्हें कभी-कभी तृष्णा होती थी. लेकिन, वे चाहकर भी इससे पलायित नहीं हो सकते थे क्योंकि विपक्ष उन पर पलायन की मोहर लगा देता. वे अपने राजनैतिक दायित्वों का डट कर मुकाबला करना चाहते थे. यह उनके जीवन संघर्ष की भी खूबी रही.

अटल बिहारी वाजपेयी देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 16 मई 1996 से 1 जून तक, दूसरी बार साल 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई से 2004 तक उनकी सरकार रही।

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