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उत्तराखण्ड में गेम चेंजर हो सकती है आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती : त्रिवेन्द्र सिंह रावत
ऑस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के फायदे औषधीय पौधों की खेती में कृषि विशेषज्ञ डॉ राजाराम त्रिपाठी देंगे सलाह
केवल खेती ही नहीं उत्पाद की भी संचित विपणन की होगी व्यवस्था तत्काल दिलाया जाएगा उत्पादन का दाम
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष सचिवालय में राज्य में उन्नत प्रजाति के आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च के पौधों की उच्च लाभदायक खेती के प्रोत्साहन हेतु प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। राज्य में इसको बढ़ावा देने के लिए और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस ओर ध्यान दिया जाय। इसका बहुआयामी उपयोग किस तरह किया जा सकता है, इसकी भी जानकारी दी जाय।
कार्यक्रम की शुरुआत में देश के प्रगतिशील युवा किसानों के आइकान , जैविक तथा हर्बल खेती के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जाने-माने विशेषज्ञ डॉ राजाराम त्रिपाठी का संक्षिप्त परिचय रूद्रपुर में ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान के निदेशक डॉ हरीश कांडपाल ने दिया, रुद्रपुर स्थित अपने संस्थान में किए जा रहे ऑस्ट्रेलियन टीक तथा काली मिर्च के रोपण के परीक्षण प्रयोग की बेहतरीन प्रगति की जानकारी का भी प्रस्तुतीकरण किया। जैविक खेती, औषधीय खेती तथाआस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती को देश में बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में विगत दो दशकों से कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ कृषक डॉ. त्रिपाठी नेआस्ट्रेलियन टीक के साथ काली मिर्च और पेड़ों के बीच में अंतर्वर्ती फसलों के रूप में औषधीय पौधों की त्रिस्तरीय खेती के कोंडागांव माडल का विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया।
राजाराम त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री जी की अग्रगामी सोच की प्रशंसा करते हुए कहा कि सचमुच आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च खेती उत्तराखण्ड में गेम चेंजर हो सकती है। इस खेती में मेहनत भी कम है और अधिक आमदनी अर्जित की जा सकती है। राज्य में इस क्षेत्र में कार्य करने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। रूद्रपुर में ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज संस्थान द्वारा आस्ट्रेलियन टीक एवं काली मिर्च की खेती की जो शुरूआत की गई है, इसके बहुत ही अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं। पिछली जुलाई में लगाए गए आस्ट्रेलियन टीक के पौधे छह महीने में ही सात आठ फीट के हो गए हैं,और काली मिर्च में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है।
कार्यक्रम में मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की ओर से अपूर्वा त्रिपाठी ने माननीय मुख्यमंत्री को बस्तर के विश्व प्रसिद्ध डोकरा आर्ट की कलाकृति स्मृति चिन्ह भेंट किया, वहीं डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने अपनी नवप्रकाशित कृति "बस्तर बोलता भी है" तथा जनजातीय सरोकारों की मासिक राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड़ का नवीनतम फरवरी अंक सादर भेंट किया।
इस महत्वपूर्ण बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, कृषि सचिव श्री हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव श्रीमती वन्दना , निदेशक सगंध पौध केन्द्र डॉ. नृपेन्द्र चौहान, प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज, डॉ खली, मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की अपूर्वा त्रिपाठी सहित सबंधित विभागीय उच्चाधिकारीयों ने भाग लिया।