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सीएम पद छोड़ने को तैयार नहीं भूपेश बघेल, क्‍या बगावत पर उतर आये हैं भूपेश बघेल?

Shiv Kumar Mishra
22 Oct 2021 1:02 PM IST
सीएम पद छोड़ने को तैयार नहीं भूपेश बघेल, क्‍या बगावत पर उतर आये हैं भूपेश बघेल?
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क्‍या सीएम नहीं रहे तो छोड़ देंगे कांग्रेस पार्टी? क्‍या पार्टी को भी तोड़ सकते हैं भूपेश बघेल?

पार्टी हाईकमान के आदेश की अनदेखी कर रहे भूपेश बघेल

सीएम पद छोड़ने को तैयार नहीं भूपेश बघेल

क्‍या बगावत पर उतर आये हैं भूपेश बघेल?

सीएम पद बचाने लगा रहे खुरापाती तिगड़म

पार्टी का संविधान खंगालने बनाई कमेटी

फर्जी सर्वे कराकर बन गए नं. वन मुख्‍यमंत्री

क्‍या सीएम नहीं रहे तो छोड़ देंगे कांग्रेस पार्टी?

क्‍या पार्टी को भी तोड़ सकते हैं भूपेश बघेल?

विजया पाठक

पिछले कुछ महीनों से छत्‍तीसगढ़ की राजनीति में आया भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस पार्टी हाईकमान के दखल के बावजूद भी प्रदेश में अभी राजनीतिक हालात ठीक नहीं हैं। कारण स्‍पष्‍ट हैं कि मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल अपनी हठधर्मिता के आगे पार्टी हाईकमान को बौना समझ रहे हैं। जबकि‍ कांग्रेस सुप्रीमो स्‍वयं भूपेश बघेल को कह चुकी हैं कि प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए उन्‍हें सीएम पद छोड़ना पड़ेगा। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए लग रहा है कि भूपेश बघेल सीएम पद को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि भूपेश बघेल ने बगावत शुरू कर दी है। उन्‍होंने सोनिया गांधी की दिल्ली में बैठक का आह्वान ठुकराया है और गंभीर नतीजों से गुजरने की कांग्रेस हाईकमान को धमकी दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाएगा, तो वह अपने 10-12 विधायकों के साथ मिलकर नई पार्टी बनाने की तैयारी भी कर सकते हैं। मतलब साफ है कि भूपेश बघेल ने मन बना लिया है कि वह किसी भी कीमत पर सीएम पद का त्‍याग नहीं कर सकते हैं, इसके लिए भले ही उन्‍हें बगावत का सहारा लेना पड़े।

इतना ही नहीं अपने पद को बचाने के लिए उन्‍होंने कई तरह के खुरापाती तिगड़म लगाना भी प्रारंभ कर दिया है। जैसे वह कांग्रेस पार्टी का संविधान खंगालने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी संविधान में देखेगी कि सीएम पद बचाने के लिए गुप्‍त मतदान कराने का प्रावधान है। वहीं विश्‍वस्‍त सूत्रों के हवाले से खबर है कि हाल ही उन्‍होंने फर्जी तरीके से एक कंपनी से सर्वे कराया है। इस सर्वे में बताया गया है कि भूपेश बघेल विभिन्‍न मामलों में देश के नंबर वन सीएम हैं।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर घमासान मचा है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के लिए यह फार्मूला बनाया गया था। इस फार्मूले पर चलने के‍ लिए पिछले दिनों दिल्ली में मुहर भी लग गई थी और भूपेश बघेल को कह दिया गया था कि आपको सीएम पद छोड़ना पड़ेगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया और बघेल हाईकमान के आदेश की अवहेलना प्रारंभ कर दी। भूपेश बघेल कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। राहुल गांधी के खासमखास सचिन राव भूपेश बघेल को समझाने रायपुर पहुंचे हैं। भूपेश बघेल के साथ कई मंत्री सचिन राव को एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचे और सचिन राव ने भूपेश बघेल को समझाने की कोशिश की क्योंकि संगठन को भी लग रहा है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में विद्रोह की स्थिति बन सकती है।

कांग्रेस पार्टी का संविधान खंगालने की जरूरत क्‍यों पड़ी?

छत्तीसगढ़ में ढ़ाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री और राहुल गांधी के कमिटमेंट का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है। आखिर भूपेश बघेल को अपनी सत्ता जाने का जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे नित दिन नई खबरें भी बाहर आ रही हैं। उसी कड़ी में खबर है कि भूपेश बघेल ने एक कमेटी बनायी है जो कांग्रेस पार्टी के संविधान को खंगालने का काम करेगी। संविधान में देखा जाएगा कि सीएम पद बचाने के लिए क्‍या-क्‍या प्रावधान हैं। मतलब गुप्‍त मतदान का विकल्‍प है क्‍या। इस कमेटी में अनिल टुटेजा, सौम्‍या चौरसिया, रूचिर गर्ग, विनोद वर्मा सहित आईएएस प्रवीण शुक्‍ला और आईपीएस डीएम अवस्‍वी शामिल हैं। ऐसे कुल छ: नुमाइंदों के द्वारा कांग्रेस पार्टी का संविधान खंगालने का कार्य किया गया है। अब सवाल उठता है कि आखिर भूपेश बघेल को कांग्रेस पार्टी के संविधान खंगालने की जरूरत क्यों पड़ रही है? यह संविधान इसलिए खंगाला गया है कि हाईकमान से इस्‍तीफा देने का दबाव आया तो इनकी तरफ से हाईकमान के सामने पार्टी संविधान के अनुसार विधायकों से गुप्त मतदान कराये जाने का अंतिम प्रस्ताव रखकर एक बार फिर से समय टालने का प्रयास किया जायेगा, जैसे अभी तक करते आ रहे हैं। 2018 में जब कांग्रेस पार्टी को 68 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाने की बारी आई थी तो उस समय टीएस सिंहदेव के पक्ष में 43 विधायकों ने अपना हस्ताक्षर कर दिल्ली से आये हुए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडगे को अपना हस्ताक्षर युक्त समर्थन पत्र सौंपा गया था। उस समय हाईकमान का आदेश सर्वोपरि था। क्योंकि उस समय भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनना था तो ढाई-ढाई साल का फार्मूला और राहुल गांधी का कमिटमेंट भी इन्‍हें मान्य था। पर आज जब पद छोड़ने की बारी आ रही है तो पार्टी हाईकमान के आदेश, भरोसा, मानवता, सभी एक किनारे चला गया और अब हाईकमान के सामने गुप्त मतदान कराने की मांग करने के प्रस्ताव रखने हेतु पार्टी का संविधान खंगाला जा रहा है।

फर्जी सर्वे कर बन गए नंबर वन सीएम

तीन माह पहले जो देश के सी- वोटर लिस्ट में सबसे आखिरी में नाम में रहने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तीन महीने में ही देखिए चमत्कार। आईएएनएस- सी वोटर ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को देश में सबसे अच्छा मुख्यमंत्री बताया है। आईएएनएस- सी वोटर सर्वे में सभी मुख्यमंत्रियों के बीच बघेल को सर्वोच्च रेटिंग मिली है। शायद सर्वे एजेंसी को यह नहीं मालूम था कि- छत्तीसगढ़ में तीन माह से सरकार और राहुल गांधी के कमिटमेंट ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री बदलने के फार्मूले को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है, छत्तीसगढ़ में सरकार नाम की चीज नहीं है, सभी प्रशासनिक कार्य ठंडे बस्ते में पड़े हुए हैं? कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। कोई भी प्रशासनिक, विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। सिर्फ घोषणा और ट्रांसफर को छोड़कर कर उसके बाद भी इस तरह के चमत्कारी सर्वे ने पूरे देश को चौंका दिया है। आखिर ऐसा कौन सा चमत्कार हो गया जो तीन माह पहले हुऐ सर्वे में आखिरी स्थान पर रहने वाले मुख्यमंत्री तीन माह में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है? यह खोज और जांच का विषय है। क्या यह फर्जी, प्रायोजित सर्वे की राजनीति CM की कुर्सी बचाने में कामयाब होगी?

बेस्ट परफॉर्मिंग मुख्यमंत्री घोषित होने के बाद कांग्रेस हाईकमान भूपेश बघेल को कैसे हटाएगा? यह उन लोगों का कहना है जिन्‍हें सत्ता जाने का जिन्हें डर सता रहा है। यह सर्वे भी ऐसे कंपनी के द्वारा किया गया है जिसका सर्वे ही विश्वसनीय ही नहीं है। इस कंपनी द्वारा किया गया विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के एक्जिट पोल सर्वे पूरी तरह फेल हो गया था। उस एजेंसी की कितनी विश्वसनीयता हो सकता है?

ऐसे में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बदलना कांग्रेस के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि हाईकमान के द्वारा किया गया कमिटमेंट को करने के लिए ताकि पूरे देश में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के ऊपर हाईकमान राहुल गांधी का भरोसा कायम रहे और एक संदेश भी दिया जा सके कि हाईकमान राहुल गांधी जो कहते हैं, वह पूरा भी करते हैं।

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