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सयुंक्त किसान मोर्चा का लखीमपुर खीरी केस को लेकर बड़ा ऐलान, या तो दो मांग मान लीजिये नहीं तो होंगे ये चार आंदोलन
लखीमपुर खीरी हत्याकांड भारत के किसान आंदोलन के इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय की तरह याद किया जाएगा। अब तक सार्वजनिक हुए तमाम वीडियो के माध्यम से इस घटना का पूरा सच देश के सामने आ चुका है। यह स्पष्ट है कि यह घटना अचानक नहीं हुई। अपराधी छवि का खुद बखान करने वाले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने पहले एक समुदाय विशेष के किसानों को धमकी दी, फिर विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को उकसाने की कोशिश की, फिर उनके बेटे और उसके गुंडे गुर्गों ने प्रदर्शन से वापस जा रहे किसानों को पीछे से गाड़ी चलाकर रौंद दिया जिसमें 4 किसानों और एक पत्रकार की मौत हुई। इस नृशंस हत्याकांड में संलिप्त लोगों के चेहरे भी अब देश के सामने बेनकाब होने लगे हैं।
इस घटना ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और दोनों सरकारों में राज कर रही भारतीय जनता पार्टी के चरित्र को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। इतने बड़े हत्याकांड और उसमें भाजपा नेताओं के संलिप्त होने के स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद भी भाजपा अपने नेताओं और गुंडों के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। यह स्पष्ट है कि इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन के सामने अपने पांव उखड़ते देखकर भाजपा अब हिंसा पर उतारु हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि हम इस हिंसा का जवाब शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक जन-आंदोलन के जरिए देंगे। इस हत्याकांड और सरकार द्वारा संतोषजनक कार्यवाही ना किए जाने के विरोध में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा की मांग
(1) केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और द्वेष फैलाने, हत्या और षडयंत्र के आरोप में गिरफ्तार किया जाए
(2) हत्या के आरोपी मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (मोनू) और उसके सहयोगियों (जिनमें सुमित जयसवाल और अंकित दास के नाम सामने आए हैं) को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 12 अक्टूबर को देश भर में शहीद किसान दिवस के रूप में मनाया जायेगा। उत्तर प्रदेश और देशभर के किसानों से अपील है कि वह 12 अक्टूबर को तिकोनिया, जिला लखीमपुर खीरी में शहीद किसानों की अंतिम अरदास (भोग) में सम्मिलित होकर उन्हें श्रद्धांजलि दें। सभी किसान संगठनों से अपील है कि वे उस दिन अपने-अपने स्थान पर गुरुद्वारा, मंदिर, मस्जिद, चर्च या किसी सार्वजनिक स्थल, टोल प्लाजा या मोर्चा पर शहीद किसानों के लिए विशेष प्रार्थना सभा या श्रद्धांजलि सभा आयोजित करें। उस दिन शाम को मोमबत्ती मार्च आयोजित किए जाएं। देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों से यह अपील है कि वह उस शाम को पांच शहीदों की याद में पांच मोमबत्ती अपने घर के बाहर जलाएं।
अगर 11 अक्टूबर तक संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो संयुक्त किसान मोर्चा देशव्यापी विरोध कार्यक्रम की शुरुआत करेगा। इन कार्यक्रमों की रुपरेखा इस प्रकार है:
(1) अंतिम अरदास के बाद लखीमपुर खीरी से शहीद किसानों के अस्थि कलश लेकर शहीद किसान यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले और देश के प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग अस्थि कलश लेकर शुरू की जाएगी। इस यात्रा का समापन हर जिले और राज्य में किसी पवित्र या ऐतिहासिक स्थान पर किया जाएगा।
(2) दशहरा के अवसर पर, 15 अक्टूबर को, किसान विरोधी भाजपा सरकार के प्रतिरूप नरेंद्र मोदी, अमित शाह और स्थानीय नेताओं के पुतले जला कर उनके झूठ का दहन किया जाएगा।
(3) 18 अक्टूबर को देश भर में सुबह 10 बजे से 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन आयोजित किया जाएगा।
(4) 26 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा लखनऊ में लखीमपुर कांड के विरोध में एक किसान महापंचायत का आयोजन करेगा।