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बड़ी खबर: किसानों की राजिम "महापंचायत" छत्तीसगढ़ में रचेगी एक नया इतिहास: डॉ राजाराम त्रिपाठी
" हमारा यह किसान आंदोलन इस सदी का विश्व का सबसे अनोखा और बड़ा आंदोलन साबित होने जा रहा है; यह कहना है देश के 40 से अधिक किसान संगठनों के साझा मंच "अखिल भारतीय किसान महासंघ" के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी का, जो कि कोंडागांव बस्तर के जाने माने किसान हैं।
28 तारीख को छत्तीसगढ़ के राजिम में किसानों की ऐतिहासिक "महापंचायत" होने वाली है, जिसमें राकेश टिकैत समेत किसान आंदोलन के सभी प्रमुख चेहरे शिरकत करने वाले हैं।मुजफ्फरपुर की किसान महापंचायत ने केवल देश के किसानों का ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों से इतर सभी वर्गों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। मुजफ्फरनगर शिव महापंचायत के बात किसान संगठनों ने देश के हृदय स्थल स्थित छत्तीसगढ़ में दूसरी महापंचायत हेतु खम ठोका है। यूं तो आदिवासी बहुल बस्तर में किसान समस्याओं या किसान आंदोलनों को लेकर सतह पर तो कोई विशेष सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, जबकि हकीकत तो यहीं है की बस्तर का कुंडा गांव तीन कानूनों के विरोध के आंदोलनों का न केवल उद्गम बिंदु है बल्कि छत्तीसगढ़ में होने जा रही पहली महापंचायत के आयोजन के निर्णायक सूत्र भी कोंडागांव से ही जुड़े हुए हैं। दरअसल वर्तमानकिसान आंदोलन के बारे में देश को तब पता चला जब 26 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के मोर्चे बॉर्डर पर आ डटे। जबकि इन तीनों किसान कानूनो का विरोध तो इनके विधायक की शक्ल में 5 जून को जन्म के दो दिवस के भीतर ही कोंडागांव से शुरू हो गया। जबकि उस समय जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान संगठनों ने इन कृषि कानूनों के बारे में प्रकाशित लुभावने सरकारी विज्ञापनों से प्रभावित होकर इन कानूनों का स्वागत तक कर दिया था। किंतु 40 से अधिक किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान महासभा की राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी में इन कृषि बिल्स के पैदा होने की 72 घंटे के भीतर ही इनका बिंदुवार पोस्टमार्टम करके इन्हें पूरी तरह से कारपोरेट के पक्ष में गढ़ा हुआ तथा किसानों का विरोधी बताया था , इतना ही नहीं उन्होंने 16 जून 2020 को ही राकेश टिकैत जी सहित देश के प्रमुख किसान नेताओं से वर्चुअल मीटिंग करके इन कानूनों की खामियों बारे से अवगत कराया और इनका समुचित विरोध करने को कहा था। त्रिपाठी की इस पहल तथा किसान हितों के लिए सतत संघर्ष के लिए गाजीपुर मोर्चे पर भारतीय किसान यूनियन के द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन भी किया गया था। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि वर्तमान किसान आंदोलन की शुरुआत के पूर्व राकेश टिकैत ,युद्धवीर सिंह जैसे प्रमुख किसान नेता कोंडागांव बस्तर आकर डॉ त्रिपाठी से गुफ्तगू कर चुके हैं। इधर पारसनाथ साहू सहित प्रदेश के कई लोग किसान नेता भी इसी सिलसिले में कोंडागांव पधार चुके हैं।
यह देश के किसानों का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि किसान आंदोलन के पहले हफ्ते में दिल्ली से शिरकत कर कुंडा गांव आते वक्त उनका भी सरकार दुर्घटना हुई जिसके कारण मजबूरी में उन्हें मोर्चे की अगुवाई से हटकर कई महीने बिस्तर पर गुजारने पड़े। बिस्तर पर से भी उन्होंने किसान आंदोलन के पक्ष में अपनी कलम से तथा वर्चुअल उपस्थिति के जरिए अपनी लड़ाई जारी रखी। पिछले भुमिअधिग्रहण किसान आंदोलन में डॉक्टर त्रिपाठी की निर्णायक भूमिका को जानने समझने वाले विश्लेषक आज भी यह दावा करते हैं कि अगर डॉक्टर त्रिपाठी किसान तथा सरकार की वार्ताओं में शामिल होते तो संभवत अब तक यह आंदोलन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुका होता। बहरहाल छत्तीसगढ़ में इसी अट्ठाइस तारीख को राजिम में होने जा रही किसान महापंचायत पर न केवल प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नजरें टिकी हुई है। इस महापंचायत में राकेश टिकैत, सहित संयुक्त किसान मोर्चा के अधिकांश प्रमुख नेता भाग लेने आ रहे हैं। राकेश टिकैत तथा अन्य प्रमुख किसान दिशाओं को छत्तीसगढ़ लाने की समूची जिम्मेदारी कोंडागांव के डॉ राजाराम त्रिपाठी को दी गई है। इसी सिलसिले में डॉक्टर त्रिपाठी राकेश टिकैत व अन्य किसान नेताओं को छत्तीसगढ़ लाने हेतु कल कोंडागांव से कूंच करने वाले हैं। इस सिलसिले में डॉ त्रिपाठी ने कहा कि हमने पहले किसान महापंचायत बस्तर में करने की सोची थी, लेकिन रायपुर के आसपास की किसान नेताओं के विशेष अनुरोध पर इसे राजिम में रखा गया है। विभिन्न किसान संगठनों के यह प्रमुख नेता दिन-रात एक कर के गांव-गांव घूमकर महा पंचायत को सफल बनाने हेतु जुटे हुए हैं,जनकलाल ठाकुर , तेजराम विद्रोही , ठाकुर रामगुलाम , वेंगेन्द्र सोनबेर (साहू) , मदनलाल साहू , रघुनाथ , जागेश्वर (जुगनू) चन्द्राकर , पारसनाथ साहू , रुपन चन्द्राकर , उमाप्रकाश ओझा , गौतम बन्ध्योपाध्याय , शत्रुघन साहू , भोजलाल नेताम , हेमंत टण्डन , गोविन्द चन्द्राकर , विश्वजीत हारोड़े , टिकेश्वर साहू , ज्ञानी बलजिंदर सिंह ,रिकू रंधावा , नरोत्तम शर्मा , डॉ राजाराम त्रिपाठी ।
जगदलपुर बस्तर क्षेत्र से भी लगभग 11 गाड़ियों में साथी किसान इस महापंचायत में शामिल होने जा रहे हैं।
अब आगे किसान आंदोलन का ऊंट भले ही किसी भी करवट बैठे, किंतु छत्तीसगढ़ में होने वाली यह किसान महापंचायत अब चाहे सफल हो या असफल किंतु प्रदेश तथा देश की किसान राजनीति में कोंडागांव तथा यहां के किसान नेता डॉ त्रिपाठी की महत्त्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।