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तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व का उद्घाटन, राजकीय चिकित्सालय का जीणोद्धार किया जाएगा : नीतीश
कुमार कृष्णन
राजगीर।अखिल भारतीय व बिहार आयुर्वेद महासम्मेलन, केंद्रीय आयुष मंत्रालय, राज्य आयुष समिति बिहार द्वारा राजगीर के इंटरनेशनल कॉन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व का उद्घाटन शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा की आयर्वेद को बढ़ावा देने के लिए बिहार में काफी काम हो रहा है । राज्य सरकार द्वारा 838 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई जिससे राज्य के कई राजकीय चिकित्सालय का जीणोद्धार किया जाएगा। उन्होंने कहा की राजगीर के पांच पहाड़ियों में एक से बढ़कर एक जड़ी बूटी मौजूद है।
हमारा आयुर्वेद से पुराण नाता है दादा ,पिता जी बैध थे और भाई भी बैध है इस लिए आयुर्वेद से लगाव है उन्होंने नेचरोपैथ को भी बढ़ावा देने के लिए बैध से आग्रह किया। आने बाले दीन में राजगीर में नेचरोरोपैथ के लिए संस्थान खोला जाएगा।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा की मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के कार्य काल मे स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम हुआ है राज्य में हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर खोलने का काम किया गया। कार्यक्रम का संचालन रूपम त्रिविक्रम ने किया।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आयुर्बेदिक एक स्मारिका का भी विमोचन किया,वहीं आयुर्वेद के क्षेत्र में वेहतर करने बालों को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित की गई,राज्य के अपर मुख्य सचिव को उत्कृष्ट सेवा के सम्मानित किया गए।
राजगीर में आयोजित आयुर्वेद पर्व में वैद्य सीवी झा, वैद्य ब्रजेश मिश्र, वैद्य अनूप कुमार, वैद्य नर्मदा जोशी व अन्य शामिल हैं। कन्वेंशन सेंटर में देश की विभिन्न राज्यों की नामी-गिरामी 40 आयुर्वेदिक कंपनियों ने स्टॉल लगाये हैं। संयोजक मंडली के सदस्य व महासम्मेलन के ओएसडी वैद्य अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस सम्मेलन में महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, यूपी, हरियाणा, ओडिशा सहित अन्य राज्यों के डेलिगेट हिस्सा ले रहे हैं। आयुर्वेद स्वस्थ रहने का तरीका बताता है। बेहतर खान-पान जरूरी है। मौसम के बदलाव से कई रोग होते हैं। इसे आयुर्वेद से ठीक किया जा सकता है। बेहतर आहार से ही बेहतर स्वास्थ्य बनता है।
2600 साल पहले इसी धरती पर उस काल के विश्व प्रसिद्ध सर्जन वैद्य जीवक ने भगवान बुद्ध व बिंबिसार सहित अन्य का उपचार किया था। कभी अपने जमाने के सर्जन कहे जाने वाले वैद्य जीवक यहां वास करते थे। लोगों की मानें तो वैद्य जीवक को अपने समय का धनवंतरी समझा जाता है। उन्होंने राजा बिंबिसार को असाध्य माने जाने वाला भगंदर (खूनी बवासीर) का इलाज किया था। इसी तरह कई ऐसे किस्से हैं जो उनके महान सर्जन व फिजिशियन होने का प्रमाण देते हैं।
उस समय अवंतिका के राजा चंद प्रदोत्य जो काफी क्रोध वाले थे। वे पांडु रोग से पीड़ित थे। दवा खाने से इंकार किया था और वैद्य जीवक पर हाथी छोड़ दिया था। वैद्य जीवक ने उन्हें उनकी पुस्तक में दवा का लेप लगाकर दिया और वह जैसे-जैसे किताब पढ़ते गए, पन्ना अपने हाथों से जीभ को लगाकर उलटता रहे, उनपर दवा का असर हुआ और वह ठीक हो गए।
बुद्ध का इलाज जीवक ने इसी आम्र वाटिका में भगवान बुद्ध का इलाज किया था। उन्होंने सिरदर्द से पीड़ित राजगृह के श्रेष्ठी साकेत व आंत में गांठ रोग से पीड़ित वाराणसी के मक्खी चीका का भी इलाज किया था। आयुर्वेद महासम्मेलन होने से एक बार फिर लोगों को आस जागी है कि वाटिका का जीर्णोद्धार होगा। लोग वहां चूल्हा जलाकर खाना बनाते हैं। गाड़ियों की पार्किंग बन गयी है। भगवान बुद्ध अपने चचेरे भाई देवदत्त से आहत हुए थे तो जीवक ने ही उनके घाव पर पट्टियां बांधकर इलाज किया था। जीवक ने यहां पर बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक विहार का निर्माण कराया था। वहीं पर कुछ समय के लिए भगवान बुद्ध भी ठहरे थे।