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सावधान: स्वास्थ्य के नाम पर झोलाछाप चलाते हैं मौत की दुकान
विवेक मिश्र
फ़तेहपुर। कहने को तो स्वास्थ्य विभाग की ब्यवस्था कागजो में दुरुस्त है। मगर कितनी दुरुस्त है यह बीते लगभग एक माह की मीडिया रिपोर्ट्स से अंदाजा लगाया जा सकता है। गली गली में खुले अपंजीकृत/मानक विहीन जुगाडू नर्सिंग होम, जिनमे डॉक्टर के रूप में ठग बैठे हैं जिन पर स्वास्थ्य विभाग का वरदहस्त है वह लोगो के जीवन से बेहतर इलाज के नाम पर खिलवाड़ कर रहे हैं।
बता दें कि कोरोना काल मे डॉक्टर भगवान का रूप लेकर लोगों के लिए जूझते रहे जिनमे कई डॉक्टरों ने अपनी जान भी गंवाई। लेकिन ये किया किसने, अधिकतर उन डॉक्टरों ने जो कोविड के वार्डों में लोगो के जीवन को बचाने के लिए जूझते रहे। उन्होंने नहीं जो डॉक्टर का चोला पहनकर बैठे हैं और हैं अपराधी। जिनका उद्देश्य सिर्फ लोगों से रुपया ऐंठना है इनके इलाज से मरीजों की जान बच जाए तो राम की कृपा से। स्पेशल कवरेज न्यूज ने ऐसे झोलाछापो के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है।
जिस पर जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे ने सख्ती दिखाते हुए आधा दर्जन से अधिक फर्जी व मानक विहीन नर्सिंग होमो के खिलाफ सीज व एफआईआर की कार्रवाई कराई है। मगर अभी भी स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से अपंजीकृत व मानक विहीन फर्जी नर्सिंग होम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं जिन पर नकेल न लगने से स्वास्थ्य माफियाओ के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में नर्सिंग होम की आड़ में कई तरह के अपराधो को अंजाम दिया जा रहा है। एम्बुलेंस भी इसका एक माध्यम बन गई हैं। बताते हैं फर्जी चिकित्सालयों की कई एम्बुलेंस मादक पदार्थ व खून के काले कारोबार में लिप्त हैं जो हूटर बजाते हुए माल की सप्लाई एक स्थान से दूसरे स्थान में कर रही हैं जिन पर पुलिस की निगाह भी नहीं पहुंचती।
नकेल कसी तो फर्जी डिग्री के लिए भागे झोलाछाप
जिले व शहर क्षेत्र में सैकड़ो फर्जी नर्सिंग होम स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से संचालित हो रहे हैं जिन पर माकूल कार्रवाई नहीं हो पा रही है हालांकि जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे की सख्ती के बाद कुछ फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई हुई है। बताते हैं जिलाधिकारी की सख़्ती के बाद झोलाछाप इधर उधर से फर्जी मार्कशीट बनवाने के लिए अन्य प्रदेशों के चक्कर लगा रहे हैं। जानकारों की माने तो मेडिकल माफिया मिलती जुलती मार्कशीट फार्मासिस्ट, बी फार्मा, डी फार्मा, बीएएमएस, और तो और एमबीबीएस की भी उपलब्ध कराते हैं। कुछ मार्कशीट तो ऐसी भी बना दी जाती हैं जो हूबहू दिखती हैं मगर यह सरकारी पत्राचार में फंस जाएगी। ये बात अलग है कि नक्काल डॉक्टर रौब गांठने के लिए इसका प्रयोग करते नजर आएंगे।
मीडिया के साथ आवाम भी निभाये अपनी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य ब्यवस्था में घुसे इन अवांछनीय तत्वों को बेनकाब करने में मीडिया तभी सफल होगी जब आवाम भी साथ देगी। आवाम को भी सरकारी अस्पतालों पर विश्वास करना होगा क्योंकि झोलाछापो के हाथ मे अपनी जिंदगी सौंपने से बेहतर है कि आप सरकारी ब्यवस्था पर भरोसा करें। दूसरी तरफ़ दर्जनो आरोपो के बीच आज भी सरकारी चिकित्सालय से बेहतर इलाज कहीं सम्भव नही है कम से कम इन अवांछनीय तत्वों की दुकान तो बंद होगी।
प्राइवेट में जब भी जाएं तो यह जरूर जानने की कोशिश करें कि आपको स्वास्थ्य लाभ देने वाला अस्पताल फर्जी तो नहीं। डॉक्टर की आम छवि व अस्पताल की साख पर भी ध्यान दें। सबसे अधिक ध्यान तब दें जब आप सर्जरी करा रहे हों चूंकि सबसे अधिक झोलाछापो की दुकान सर्जरी से ही चल रही है। इसलिए सर्जरी से पहले डॉक्टर के बारे में अवश्य पता करें तभी आपका मरीज स्वस्थ होकर घर लौटेगा अन्यथा आप भी किसी बहरूपिये के हाथों अपना धन और अपने परिजन दोनो से हाथ धो बैठेंगे।