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Hindus in the Supreme Court: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनः हिंदुओं से पल्ला झाड़ लिया

Shiv Kumar Mishra
29 March 2022 9:41 AM GMT
Hindus in the Supreme Court: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनः हिंदुओं से पल्ला झाड़ लिया
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Hindus in the Supreme Court

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी जी मुस्लिमों को लेकर बनाए गये जिस सच्चर कमेटी का विरोध करते थे, कल उनकी ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में देश में अल्पसंख्यक आयोग की अनिवार्यता को स्थापित करने के लिए सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए मुस्लिमों के पिछड़ेपन पर खूब रोना-धोना किया है!

मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने SC में दखिल हलफनामे में खुल कर सच्चर कमेटी को मान्यता प्रदान किया है कि मुसलमानों की स्थिति बहुत खराब है इसलिए अल्पसंख्यक आयोग और मंत्रालय जरूरी है।

490 पेज के हलफनामे में केवल 60 पेज तक ही हलफनामा है, बांकी सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई है। गजब का मास्टरस्ट्रोक है! हलफनामा का एक पेज सबूत के तौर पर नीचे संलग्न है:-


मुस्लिम, ईसाई आदि को देश में अल्पसंख्यक घोषित कर उनके लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय व अल्पसंख्यक योजनाएं चलाने वाली केंद्र (केंद्र मतलब अब तक की सभी केंद्र सरकार) ने 8 राज्यों में अल्पसंख्यक हुए हिंदुओं के लिए SC से कह दिया कि राज्य चाहें तो उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर दें, हम कोई दिशानिर्देश नहीं दे सकते हैं! अर्थात हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने के अपने अधिकार को केंद्र ने राज्यों पर टाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया है।

हिंदुओं के प्रति केंद्र का दोहरा रवैया इससे भी स्पष्ट होता है कि कुछ समय पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने OBC की जातियां तय करने के राज्यों के अधिकार को अवैध घोषित कर दिया था तो केंद्र सरकार ने संसद में SC के निर्णय को पलट कर राज्यों के इस अवैध अधिकार को वैध बना दिया था।

ये राज्य हिंदू OBC का हक मारकर मुस्लिम व ईसाई को धड़ल्ले से आरक्षण का लाभ दे रहे हैं। बंगाल से गुजरात तक हिंदू OBC का सारा लाभ अल्पसंख्यकों को देकर संविधान की खुलेआम अवहेलना हर पार्टी कर रही है, जिसका अधिकांश हिंदुओं को पता ही नहीं है।

स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ANI को दिए साक्षात्कार में यह कह चुके हैं कि जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 70 मुस्लिम जातियों को OBC का लाभ दिया था। और बंगाल में तो अभी-अभी 170 में से करीब 115 मुस्लिम जातियों को OBC कोटे से राज्य पुलिस बल में भर्ती किया गया है।

सभी राज्यों में कमोबेश यही स्थिति है, जबकि मुस्लिम व ईसाई अपने धर्मांतरण अभियान को जस्टिफाई ही इस आधार पर करते हैं कि हिंदुओं में जातिगत भेदभाव है और हमारे यहां समानता है!

संविधान ने साफ-साफ मजहब/रिलीजन के आधार पर आरक्षण की मनाही की है, लेकिन देश की हर राजनीतिक पार्टी हिंदुओं की जातियों को लड़ा कर असली लाभ अल्पसंख्यकों को दे रही हैं, जबकि हिंदू समाज 'यह मेरी पार्टी-वह तेरी पार्टी' की क्षुद्र लड़ाई में अपनी ही चिता की लकड़ी को सजाने में जुटा है!

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर अब 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक अधिकार देने का मामला राज्यों पर टाल कर केंद्र ने यह तय कर दिया है कि हिंदू समाज का हितैषी कोई भी राजनीतिक दल और राजनेता न कभी था न कभी होगा!

हिंदू सिर्फ इस देश में है, इसलिए उसकी हैसियत यहां सिर्फ एक वोट बैंक की है, जबकि मुस्लिम-ईसाई अंतरराष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा हैं, इसलिए वोट हिंदुओं से और लाभ अल्पसंख्यकों को; विडंबना है कि यही नीति भारत की स्थाई राजनीति बन चुकी है!

इस देश में हिंदुओं के लिए केवल प्रतिकात्मक राजनीति होती रही है, जबकि अल्पसंख्यकों को हर तरह से व अ-संवैधानिक रूप से मजबूत बनाने का योजनात्मक अभियान चलाया जाता रहा है‌।

५० साल बाद पुनः इसका दुष्परिणाम प्रकट होगा, जैसे गांधीजी द्वारा किए गये तुष्टिकरण का परिणाम भारत विभाजन के रूप में प्रकट हुआ था।

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Shiv Kumar Mishra

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