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रामदेव की कंपनी पतंजली पर केंद्र सरकार ने दिए कार्रवाई के निर्देश, जानें पूरा मामला
योग गुरु बाबा रामदेव (Yog Guru Baba Ramdev) की संस्था पतंजलि (Patanjali) पर अवैध विज्ञापनों (Illegal Advertisements) का इस्तेमाल कर दिल (Heart) और लिवर (Liver) की बीमारी से जुड़े उत्पादों को को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में केन्द्र सरकार (Central Government) ने उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) के अफसरों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र ने इन आरोपों के बाद विज्ञापनों की जांच कर जल्द से जल्द जरूरी कार्रवाई करने को कहा है। आपको बता दें कि केन्द्रीय आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) को पतंजलि (Patanjali) के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं जिनमें कहा गया था कि कंपनी कुछ उत्पादों के ऐसे विज्ञापन दिखा रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि उनसे दिल और लिवर की बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
इस शिकायत में शिकायत में रामदेव की पतंजलि के उत्पादों- लिपिडोम, लिवोग्रिट और लिवामृत के विज्ञापनों का उदाहरण देते हुए उन्हें बाजार से वापस लेने की मांग की गयी थी। शिकायत में यह भी कहा गया था कि इस तरह के विज्ञापन ड्रग्स व एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट (आपत्तिजनक विज्ञापन) 1954 का खुलेआम उल्लंघन हैं।
आपको बता दें कि बीते मंगलवार (19 अप्रैल) को केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ (Eye Specialist) केवी बाबू (KV Babu) ने सूचना का अधिकार अधिनियम (Right To Information Law) का उपयोग करते हुए इस बारे में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत दर्ज होने के बाद केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से इस मामले में उत्तराखंड के अधिकारियों को शिकायकर्ता की ओर से दिए गए प्रमाणों के आधार पर मामले की जांच कर त्वरित कार्रवाई करने को कहा गया है।
आपको बता दें कि बाबू ने फरवरी में केंद्र के शीर्ष दवा प्राधिकरण से शिकायत की थी कि देहरादून स्थित पतंजलि ने अपने विज्ञापनों में दावा किया है कि लिपिडोम एक हफ्ते में कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और लोगों को हृदय की समस्याओं और रक्तचाप से बचाता है।
अपनी शिकायत में केवी बाबू ने कहा था कि विज्ञापनों में ड्रग व मैजिक रेमेडीज एक्ट की धारा 3 का उल्लंघन किया गया है। यह धारा हृदय रोग और उच्च या निम्न रक्तचाप सहित कई स्वास्थ्य विकारों के लिए किसी भी उपचार के विज्ञापन को प्रतिबंधित करती है। इसके बाद इस शिकायत को आयुष मंत्रालय को भेज दिया गया, जो पहले से ही लिपिडोम के विज्ञापनों की जांच कर रहा है।
इस मामले में आयुष मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कि नेशनल फार्माकोविजिलेंस सेंटर ने अन्य पतंजलि उत्पादों के विज्ञापनों को संज्ञान में लिया है। पूर्व में मंत्रालय ने कर्नाटक और राजस्थान में राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को इसी तरह के निर्देश दिए गए थे।
वहीं केवी बाबू ने इस बारे में बताया है कि क्या इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि ये दवाएं कारगर हैं? जैसा पतंजलि की ओर से अपने विज्ञापनों में दावा किया जाता है। उन्होंने कहा कि ये विज्ञापन कई शहरों के अखबारों में छपे हैं। इस मामले में स्थिति साफ होनी चाहिए और अगर इसके इन दवाओं के काम करने के संबंधन में स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं तो इन पर तुरंत पाबंदी लायी जानी चाहिए।