- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- Top Stories
- /
- कोयला संकट से भारत में...
कोयला संकट से भारत में हो सकती है भयानक बिजली कटौती - रिपोर्ट का दावा
उत्तर भारतीय राज्यों सहित देश के अधिकांश इलाकों में भीषण गर्मी का लोग सामना कर रहे हैं। ऐसे में बिजली की मांग पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ गई है। दूसरी तरफ एक बार फिर कोयला संकट का सामना बिजली उत्पादन में लगी संयंत्रों को करना पड़ सकता है। ऐसा हुआ तो चिलचिला देने वाली गर्मी में लोगों को भीषण बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बिजली मंत्रालय की एक आंतरिक कमेटी रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि देश में कोयला संकट की वजह से व्यापक बिजली कटौती का खतरा बढ़ गया है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि चालू वित्तीय वर्ष (2022-23) की दूसरी तिमाही यानी सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान भारत को कोयले की व्यापक कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि तब बिजली की मांग अधिक होने की उम्मीद है।
बिजली मंत्रालय की एक आंतरिक कमेटी रिपोर्ट में इस बात की आशंका जताई गई है कि जुलाई-सितंबर की तिमाही में मांग के मुताबिक कोयले की आपूर्ति में 42.5 मिलियन टन की कमी आ सकती है। यह कमी पिछले संकट से 15 फीसदी ज्यादा हो सकती है। जब बिजली की अधिक मांग के कारण कमी उत्पन्न हुई थी।
मंत्रालय की आंतरिक कमेटी का ये पूर्वानुमान भारत में ईंधन की कमी को ऐसे वक्त में आई है जब पिछले 38 वर्षों में देश में बिजली की वार्षिक मांग में सबसे तेज बढ़ोतरी देखी जी रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कोयले की आपूर्ति में कमी आई है। कोयले की वैश्विक कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई हैं।
भारत ने कोयला संकट से पार पाने के लिए हाल के दिनों में बिजली संयंत्रों पर कोयले का आयात बढ़ाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर बिजली संयंत्र आयात कर अपने कोल इनवेंट्रीज नहीं बनाते हैं तो घरेलू रूप से खनन किए गए कोयले की आपूर्ति में कटौती की जाएगी।