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- लीजिये अब पत्थर भी...
शिवराज सिंह की एक खूबी है..वे अपने विरोधियों से किसी तरह की "जंग" नही लड़ते हैं।विरोधी उछलते कूदते हैं।शोर मचाते हैं।आरोप भी लगाते हैं!पर शिवराज कोई प्रतिक्रिया नही देते हैं।इसके चलते कुछ लोग तो मानसिक संतुलन तक खो देते हैं।
इसका ताजा उदाहरण हैं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती!शराब बंदी के मुद्दे पर वे लगातार बोल रहीं थीं।आंदोलन की धमकी भी दी।लेकिन शिवराज ने कोई प्रतिक्रिया नही दी।इसका परिणाम यह हुआ कि रविवार को उमा भारती भोपाल में शराब की दुकान पर पत्थर फेंकती नजर आयीं।
सरकारी अंगरक्षक और बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ उमा भारती हाथ में पत्थर लेकर शराब की दुकान में गयीं।शराब की बोतलों पर पत्थर मारा औऱ बाहर निकल आयीं।
मजे की बात यह है कि शिवराज की ओर से इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नही आई है।पुलिस ने इस तरह शराब की दुकान में पत्थरबाजी के इल्जाम में देर रात तक तो कोई मुकदमा उमा भारती के खिलाफ दर्ज नहीं किया है।जबकि उमा ने अपने इस कौतुक की जानकारी सबूत के साथ फेसबुक पर पोस्ट की है।पुलिस की तरफ से कोई कदम उठाए जाने की जानकारी देर रात तक नही मिल पाई है।
दरअसल उमा और शिव का पुराना बैर है।2005 में शिवराज उमा की मर्जी के खिलाफ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।उसके बाद उन्होंने उमा भारती को भाजपा में पहले हाशिये पर पहुंचाया फिर पार्टी छोड़ने पर बाध्य कर दिया।लेकिन वे अपने मुंह से कभी कुछ नही बोले।
बाद में उत्तरप्रदेश के जरिये उमा की भाजपा में वापसी हुई।वह मोदी सरकार में मंत्री बनी।फिर निकाली भी गयीं।पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट भी नही दिया गया।इस बजह से वह लंबे समय से परेशान हैं।
कोरोना काल में जब शराब ही सरकारों की आमदनी का अहम जरिया है तब उमा भारती ने राज्य में शराब बन्दी की मांग उठाई।उन्होंने पिछ्ले साल अक्टूबर में ऐलान किया कि अगर शिवराज सरकार ने प्रदेश में शराबबन्दी नही की तो वे लट्ठ लेकर शराब की दुकानें बंद कराएंगी।इसके लिए उन्होंने 15 जनवरी 2022 की तारीख दी।लेकिन इस तारीख को वह भोपाल ही नहीं पहुंची।वे पुरी में जगन्नाथ जी की सेवा कर रही बताई गयीं।बाद में उन्होंने 14 फरबरी से आंदोलन चलाने की बात कही।लेकिन फिर गायब हो गयीं।ठीक एक महीने बाद आज वे भोपाल में एक शराब की दुकान पर पहुंची।शराब की बोतलों पर एक बड़ा पत्थर मारा और दुकान से निकल गयीं।उनकी इस हरकत पर सरकार और प्रशासन दोनों ही मौन हैं।हां भाजपा ने जरूर यह कहा है कि उमा के इस आंदोलन से उसका कोई लेना देना नही है।
जहाँ तक शिवराज सरकार का सवाल है-उसने उमा की इस मांग पर गौर करने के बजाय शराब की बिक्री बढ़ाने का फैसला किया है।आगामी एक अप्रैल से मध्यप्रदेश में न केवल शराब सस्ती होगी बल्कि उसकी दुकानें भी बढ़ जाएंगी।अब शराब की हर दुकान पर हर तरह की शराब मिलेगी।देसी शराब की दुकान पर अंग्रेजी और अंग्रेजी शराब की दुकान पर देसी।सरकारी सूत्र कहते हैं कि लाखों करोड़ के कर्ज में दबी सरकार शराब से आमदनी बढ़ाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
इन हालात में उमा भारती की मांग कौन सुने!जहां तक शिवराज की बात है वे तो कतई नहीं सुनेंगे!राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने मौन रहकर अस्थिर चित्त वाली उमा को इस हालत में पहुंचा दिया है कि अब वे "पत्थर मारने" लगी हैं।आज जो पत्थर उन्होंने शराब की दुकान पर मारा है उसकी आवाज दिल्ली तक पंहुच गयी है।
दरअसल हर तरफ से अकेली पड़ी उमा सक्रिय राजनीति में वापसी के लिए फड़फड़ा रही हैं।प्रदेश में अब उनका कोई "साथी" नही बचा है।जो थे वे सब साथ छोड़कर जा चुके हैं।वे लगातार बोल रही हैं।लेकिन उनके बोले पर कोई कुछ नही बोल रहा है।
परिणाम सामने है!उमा पत्थर मारने लगी हैं!उमा को शायद इस बात का अहसास भी नही होगा कि आज जो उन्होंने किया उसी का इंतजार मोदी और शिवराज दोनों ही कर रहे थे।यह दोनों को हर दृष्टि से सूट करता है।उमा भले ही मोदी को पितातुल्य और शिवराज को बड़ा भाई बताती हों, लेकिन इन दोनों की नजर में वह क्या हैं यह अब सब जान गए हैं।इस हाल में पहुंचने वाली वह पहली महिला नेता हैं।अब सबकी नजर इस बात पर है कि उमा मुख्यमंत्री निवास पर पत्थर फेंकती नजर कब आएंगी???