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भाजपा द्वारा लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोपों का जवाब देगी कांग्रेस, प्लान है तैयार
2024 के आम चुनावों की तैयारियों को लेकर कांग्रेस पार्टी अभी से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरने में जुट गई है। इसी कड़ी में उदयपुर में 13 से 15 मई से शुरू होने वाले तीन दिवसीय चिंतन शिविर से पहले पार्टी ने सोमवार को कार्यसमिति की विशेष बैठक रखी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी से वरिष्ठ नेताओं से सारे विरोधाभासों को भुलाकर पार्टी की मजबूती के लिए जुटने की अपील की है। साथ ही कहा कि पार्टी ने सभी को कुछ न कुछ दिया है, ऐसे में अब उसे लौटाने का समय आ गया है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में एक परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकट देने, अहम पद पर रहने के बाद तीन साल कूलिंग ऑफ पीरियड होने और पैनलों में बड़ी संख्या को कम करने जैसे प्रस्तावों पर मुहर लगी है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हाईकमान को सुझाव दिया गया था कि प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष या राष्ट्रीय कार्यकारिणी शामिल नेताओं को एक कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन सालों तक पद से दूर रखा जाना चाहिए। इस पर सहमति बन गई है। इसके अलावा एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट देने पर भी सहमति बनी है। पार्टी का मानना है कि इससे वह भाजपा की ओर से लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोपों का जवाब दे सकेगी।
2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी उन सभी पेचों को कस लेना चाहती है, जहां कोई भी ढिलाई नजर आ रही है। इसी के तहत उसने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। इसके अलावा यूपी और बिहार जैसे राज्यों के लिए भी प्लानिंग करने में जुटी है। यही नहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर भी पार्टी की नजर है, जहां इसी साल के अंत तक चुनाव होने वाले हैं। इस चिंतन शिविर में 400 पार्टी नेता शामिल होंगे।
खुद गांधी परिवार पर भी लागू होगा एक टिकट का फैसला?
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद एक नेता ने कहा, 'एक परिवार एक टिकट के प्रस्ताव पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका ऐलान करेंगे। यह भी ऐलान किया जा सकता है कि 2024 के आम चुनाव में परिवार का एक ही व्यक्ति लड़ेगा।' इसके अलावा कांग्रेस में बदलाव की मांग करने वाले नेता संसदीय बोर्ड के भी पुनर्गठन की बात करते रहे हैं। राजनीतिक मामलों की समिति ने सुझाव दिया है कि पार्टी को देश भर में गठबंधन करने चाहिए। खासतौर पर लोकसभा चुनाव के लिए समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेना चाहिए।