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आज से ठीक तीन माह बाद 22 मई के दिन नोएडा में बनेगा एक इतिहास
आज 22 फरवरी है। ठीक तीन माह बाद 22 मई का दिन नोएडा का एक इतिहास बनने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एमरॉल्ड कोर्ट सेक्टर-93ए स्थित ट्विन टावर को इसी दिन गिराया जाएगा। टावर को गिराने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। प्राधिकरण समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी इसमें जुट गए हैं। 22 मई को 10 सेकेंड में 32 मंजिला ट्विन टावर ध्वस्त होकर मलबे में तब्दील हो जाएगा। मुंबई की एडिफिस कंपनी ने टावर को ध्वस्त करने से पहले इसके आसपास बनी चहारदीवारी तोड़ने का काम शुरू कर दिया है।
सोमवार को ट्विन टावर की साइट पर बड़ी संख्या में एडिफिस कंपनी के कर्मचारी काम में जुटे नजर आए। कुछ कर्मचारी जहां अंदर कैंपस की सफाई में जुटे थे, वहीं कुछ इन टावर के चारों ओर बनी बाउंड्रीवॉल को तोड़ रहे थे। कंपनी कर्मियों ने बताया कि काम में तेजी लाई जा रही है। इसके साथ ही ट्विन टावर कैंपस में बाहरी लोगों का आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कार्ययोजना में मांगा था तीन माह का समय
मुंबई की एडिफिस कंपनी ने अपनी कार्ययोजना में इमारत को तोड़ने में 90 दिन का समय लगने की बात कही थी। साथ ही मलबा साफ करने के लिए भी इतना ही और समय मांगा था। वहीं 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने इस मामले में सभी संबंधित विभागों की बैठक बुलाई थी। इसी बैठक में 22 मई को ट्विन टावर को ध्वस्त करने की तारीख तय की गई थी।
बृहस्पतिवार को नोएडा आएंगे विदेशी विशेषज्ञ
एडिफिस कंपनी को अब अपने विदेशी विशेषज्ञों का इंतजार है। दक्षिण अफ्रीका से आने वाले सात इंजीनियर और अन्य विशेषज्ञ बृहस्पतिवार को नोएडा स्थित ट्विन टावर की साइट पर पहुंचेंगे। टावर में विस्फोटक किस-बीम और किस दीवार में कितनी-कितनी दूरी पर लगाया जाना है, यह कार्य इसी टीम के सदस्यों की देखरेख में होना है।
कार्रवाई क्यों करनी पड़ी?
इन ट्विन टावर्स को इसलिए तोड़ना पड़ा क्योंकि ये एक अवैध कंस्ट्रक्शन था. यह सुपरटेक बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की मिलीभगत से किया गया था. जिस जमीन पर टावर खड़ें है वो जगह खेलने-कूदने के लिए आरक्षित थी. जगह सुपरटेक की ही थी लेकिन उसने अवैध तरीके से पार्क वाली जगह पर ही दोनों टावर खड़े कर डाले. पहले ही इस मामले में यानी 2014 में हाईकोर्ट ने बिल्डिंग गिराने का आदेश दिया था. लेकिन इसके खिलाफ बिल्डर सुप्रीम कोर्ट गया पर आज सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ये दोनों टावर अवैध हैं और इन्हें गिराया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के ऑर्डर को बरकरार रखा है.