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Exit Poll: इन 5 वजहों से यूपी में वापस आती दिख रही भाजपा
चुनावी रण के अंतिम द्वार पर पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 सीटों पर हुई जंग में अधिकतर पर भाजपा और सपा के बीच ही सीधी टक्कर रही। जबकि कई सीटों पर बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने भी जोर दिखाया है और प्रतिद्वंद्वी के सामने कड़ी चुनौती देते हुए दिखे। कुछ सीटों पर बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी की मजबूत मौजूदगी के चलते त्रिकोणीय लड़ाई भी हुई है रात नौ बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कुल 56.77 प्रतिशत मतदान हुआ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तमाम टीवी चैनलों की ओर से एग्जिट पोल के आंकड़े जारी किए गए हैं। इन एग्जिट पोल्स में यूपी में भाजपा के रिपीट होने की भविष्यवाणी की गई है। यदि ये सही साबित होते हैं तो 30 सालों के बाद यह पहला मौका होगा, जब कोई पार्टी सत्ता में वापसी करेगी। इंडिया टुडे-माय एक्सिस के सर्वे में भाजपा को 288 से 326 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। इसके अलावा टाइम्स नाउ, रिपब्लिक पी. मार्क के सर्वे में भी भाजपा को ही जीत मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है। आइए जानते हैं, वे कौन सी मुख्य वजहें हैं, जिनके चलते भाजपा सत्ता में वापसी कर सकती है...
- योगी सरकार के खिलाफ भले ही महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे रहे हों, लेकिन बाबा के बुलडोजर वाला नारा इन पर भारी पड़ता दिख रहा है। इसका अर्थ यह है कि योगी राज में सुशासन में सुधार ने उन्हें बढ़त दिलाई है और इसके चलते किसान आंदोलन समेत अन्य तमाम मुद्दे पीछे हटते दिखे हैं। जानकारों का मानना है कि यही एक मुद्दा था, जिसने योगी सरकार के खिलाफ कोई लहर नहीं पैदा होने दी।
-उत्तर प्रदेश में भाजपा ने महिला सुरक्षा को लगातार मुद्दा बनाए रखा है। कैराना से लेकर पूर्वी यूपी तक के हिस्सों में भाजपा ने यह नारा दिया था कि महिला सुरक्षा चाहिए तो फिर भाजपा जरूरी है। जमीन पर काफी हद तक यह नैरेटिव काम करते दिखा है। यदि एग्जिट पोल के नतीजे परिणाम में बदलते हैं तो साफ है कि योगी सरकार ने यह धारणा बनाने में सफलता पाई है कि उसने अच्छी कानून-व्यवस्था दी है।
- उत्तर प्रदेश के सीएम योगी की लोकप्रियता पर भी यह चुनाव मुहर लगाएगा। भले ही वह पीएम मोदी की तरह देश भर में उतने लोकप्रिय नहीं हैं, लेकिन राज्य में वह इस वक्त सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं। खासतौर पर कानून व्यवस्था, वेलफेयर स्कीम और ईमानदारी जैसी तीन तीन चीजों का मिक्स उनके पक्ष में जाता है। इन मुद्दों पर उनकी लोकप्रियता उनकी राज्य के हर आयु वर्ग के लोगों में भी दिखती है। शायद इसी लोकप्रियता के दम पर भाजपा आलू पट्टी कहे जाने वाले इटावा, एटा, मैनपुरी जैसे इलाकों में भी अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही है।
-कोरोना काल में केंद्र सरकार की वेलफेयर स्कीमों को अच्छे से लागू करना भी सीएम योगी के पक्ष में जाता दिख रहा है। फ्री राशन, कैश ट्रांसफर, अस्पतालों में मुफ्त इलाज और गरीबों के लिए घर समेत तमाम चीजें दी गई हैं। माना जा रहा है कि इन स्कीमों के जरिए भाजपा ने एक बड़ा लाभार्थी वर्ग तैयार किया है, जो उसके पक्ष में जाते दिख रहे हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में भाजपा को इन स्कीमों का खास फायदा मिलता दिख रहा है।
-भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर जीत हासिल की थी। लेकिन अब उसके पास मोदी के अलावा योगी भी हैं। इस तरह मोदी और योगी की जोड़ी अच्छा असर छोड़ती दिखती है। एक तरफ योगी के जरिए हिंदुत्व का कार्ड चलता दिखता है तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी विकास की तस्वीर पेश करते हैं। एक्सप्रेसवे से लेकर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक यूपी सरकार ने विकास और हिंदुत्व को समान स्पीड के साथ आगे बढ़ाने का काम किया है। साफ है कि इससे दोनों तरह का वोटर उससे सधता दिख रहा है।