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Fatehpur Crime News: लेखपाल, फतेहपुर में कानूनगो ने कब्रिस्तान पर चलवा दी जेसीबी ! एसडीएम को पता नहीं? दलित परिवारों ने डीएम से लगाई गुहार

Special Coverage Desk Editor
13 Nov 2024 3:41 PM IST
Fatehpur Crime News: लेखपाल, फतेहपुर में कानूनगो ने कब्रिस्तान पर चलवा दी जेसीबी ! एसडीएम को पता नहीं? दलित परिवारों ने डीएम से लगाई गुहार
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Fatehpur Crime News: जिले में राजस्व प्रशासन की मिलीभगत से भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं। शहर के अधिकतर तालाबों, पशुचर, कब्रिस्तान व शत्रु संपत्ति की जमीनों का अस्तित्व लगभग मिट सा गया है।

( विवेक मिश्र)

Fatehpur Crime News: जिले में राजस्व प्रशासन की मिलीभगत से भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं। शहर के अधिकतर तालाबों, पशुचर, कब्रिस्तान व शत्रु संपत्ति की जमीनों का अस्तित्व लगभग मिट सा गया है। राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से भूमाफियाओं ने अधिकतर जगहों को प्लाटिंग करके बेच दिया। जिनके कई मामले एसडीएम सहित डीएम कोर्ट में भी लंबित हैं लेकिन इस ओर जिला प्रशासन जरा भी गंभीर नहीं है। हाल ही में शहर क्षेत्र से जुड़े कबराहार गांव की एक बेशकीमती कब्रिस्तान की जमीन को भूमाफियाओ ने ट्रैक्टर चलाकर बराबर करवा दिया। जिसमें पुलिस और राजस्व प्रशासन ने भी भूमाफियाओं का साथ दिया ! इसी मामले में कबराहार गांव के सैकड़ों अनुसूचित बिरादरी के लोगों ने डीएम को शिकायती पत्र देकर भूमाफियाओं व उनका साथ देने वाले राजस्वकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।

बता दें कि कबराहार गांव के दलित बिरादरी के सैकड़ों लोगों ने डीएम को शिकायती पत्र देकर बताया कि गांव की गाटा संख्या 47 और 49 में बुजुर्गी समय से उनके परिवारों के शव दफन होते आए हैं जिसमें सैकड़ों कच्ची व पक्की समाधियां बनी हुई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि भूमाफिया तंजीम वारसी पुत्र गुलाम वारिस खान निवासी खेलदार ने राजस्वकर्मियों को मिलाकर उक्त जमीन में सेटिंग करके कागजों में अपना नाम चढ़वा लिया है जो लंबे समय से जमीन में कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसका उन्होंने एसडीएम कोर्ट में 2013 में एक वाद आयोजित कर दिया था जिसकी सुनवाई की तिथि 20/11/2024 नियत है। इसके बावजूद लेखपाल अंकित यादव और कानून गो ने धमकी दी कि कब्रों को हटा लो नहीं तो गिरवा दी जाएंगी। जिसके बाद भूमाफियाओ ने 28 अक्टूबर की रात्रि को जेसीबी से कब्रों को गिरवा दिया और 30 अक्टूबर को लेखपाल अंकित यादव व कानूनगो के सामने दिन में ट्रैक्टर चलवाकर कब्जा कर लिया। जिसका जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो तंजीम वारसी व उसके साथ आए गुर्गों ने राजेश चमार व रामरती को गाली गलौज करते हुए मारा पीटा और धमकी देते हुए चले गए। ग्रामीणों ने डीएम से गुहार लगाई कि भूमाफिया तंजीम वारसी, उसके गुर्गों व लेखपाल अंकित यादव, कानून गो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें। डीएम ने मामले की जांच करवाकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।



कबराहार की इस जमीन में कब्जे का विरोध कर रहे थे दिवंगत पत्रकार दिलीप !

कबराहार गांव में दलितों की बुजुर्गी कब्रिस्तान की इस जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने का विरोध दिवंगत पत्रकार दिलीप सैनी भी कर रहे थे। बताते हैं इस जमीन को अवैध तरीके से कब्जा करवाने के पीछे एक बड़े नेता का हाथ है। जिसकी वजह से प्रशासनिक अफसर भी आंख बंद किए बैठे रहे और निचले स्तर के अधिकारी और कर्मियों सहित पुलिस को भूमाफियाओं ने पैकेट बांटे और दिन दहाड़े जमीन से कब्रों को नष्ट करवा दिया। अवैध कब्जे की शिकायत उस दिन भी दलित परिवारों सहित दिवंगत पत्रकार दिलीप सैनी ने अधिकारियों व पुलिस से की। लेकिन किसी ने अवैध कब्जे को नहीं रोका ! आश्चर्य की बात यह है कि जिस दिन इस जमीन पर कब्जा किया गया उसी दिन रात में दिलीप की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई। पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने दिलीप हत्याकांड और इस जमीन से जुड़े भूमाफियाओं के बीच की कड़ी पर आज तक कोई काम नहीं किया। संभव है ये जमीन ही दिलीप की हत्या की वजह बन गई हो !

राजस्व अधिकारियों के कमाऊपूत लेखपाल बन गए भूमाफिया !

शहर में पूर्व में तैनात रहे राजस्व अधिकारियों के कमाऊ पूत लेखपालों ने भूमाफियाओं का साथ देकर अवैध तरीके से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। भूमाफियाओं का साथ देते देते लेखपाल भी कुछ वर्षों में भूमाफिया बन गए। जो स्वयं गैंग बनाकर प्लाटिंग के धंधे में उतर आए। दिलीप हत्याकांड में जेल भेजे गए लेखपाल सुनील राणा स्वयं भूमाफिया बन गया था उसके टीम में कई लेखपाल हैं जो जमीन के व्यवसाय में उतर गए थे। अंकित यादव सहित शहर और कस्बों में तैनात रहे कई लेखपालों पर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं ! लेकिन ये सब राजस्व के अफसरों के नाक के नीचे होता रहा मगर उन्होंने इन कमाऊ पूतों पर कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि इनको मनमानी जगहों पर तैनाती देते रहे ! आश्चर्य यह है कि सामान्य वेतन वाले लेखपालों के पास कुछ ही वर्षों में करोड़ों के मकान, प्लाट और लक्जरी गाड़ियां कहां से आ जाती हैं इसकी जांच करवाने की अफसरों ने कभी जरूरत भी नहीं समझी !

क्या कहते हैं जिम्मेदार

इस बाबत एसडीएम सदर प्रदीप रमन ने कहा कि उनको इस जमीन में कब्जा करने की कोई जानकारी नहीं है। हो सकता है तहसीलदार को पता हो।

Special Coverage Desk Editor

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