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बसपा, कांग्रेस को भी हल्के में न लें, जीते न तो बिगाड़ सकते हैं समीकरण
विवेक मिश्र
2017 में जनपद की छहो विधानसभा सीटों में मोदी की आंधी में सभी पार्टियों का पत्ता साफ हो गया था। पांच सीटों पर कमल तो एक पर बीजेपी गठबंधन के प्रत्याशी को विजय प्राप्त हुई थी। पांच वर्ष बाद 2022 में 23 फरवरी को जनपद में विधानसभा चुनाव होने की तिथि तय है एक बेहतर सरकार बनाने के लिए मतदाता तैयार है। मगर इस बार भाजपा के जनप्रतिनिधियों को जनता का भारी विरोध क्षेत्र में झेलना पड़ रहा है। जानकारों की माने तो सबसे अधिक संघर्ष जिले की तीन सीटों में भाजपा को करना पड़ेगा। जिनमे अयाह शाह, हुसेनगंज व खागा शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जनता के विरोध ने पार्टी के नेताओ को सोचने पर मजबूर कर दिया है, शायद यही वजह है कि बीजेपी ने अयाह शाह, हुसेनगंज, खागा आदि सीटों में पूरी ताकत झोंक रखी है। अयाह शाह व खागा विधानसभा में जनता के विरोध व भाजपा प्रत्याशियों के मुर्दाबाद के वीडियो सोशल मीडिया में सुनने को लगभग सभी को मिल चुके हैं। हालांकि भाजपाई इसे विरोधियों की साजिश बता रहे हैं लेकिन सिर्फ साजिश मानना भी उचित नहीं है। क्षेत्रीय लोगो का कहना है कि इन क्षेत्रों में विकास के नाम पर जनता को ठगा गया है। हालांकि जनता नाराज जरूर है लेकिन भाजपाइयों का विश्वास है कि थोड़ी बहुत नाराजगी प्रधानमंत्री के आने के बाद जनता भुला देगी। आज प्रधानमंत्री फतेहपुर से जनता को संबोधित करेंगे। वह पंजाब से लखनऊ पहुंचेंगे फिर लखनऊ से तीन बजे फतेहपुर के लिए रवाना होंगे। जहां लगभग पौने चार बजे से साढ़े चार बजे तक लगभग 45 मिनट जनता को संबोधित करेंगे।
आपको बता दें कि खागा विधानसभा को भाजपा का नेतृत्व सुरक्षित सीट मानता है उनका मानना है यहां से भाजपा की सीट जीतना लगभग तय है लेकिन ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जब विकास न करने पर आवाम ने जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाया है। जिले की सदर सीट पर भी ऐसे ही राधेश्याम गुप्ता कई बार भाजपा के प्रत्याशी बनकर जीते थे लेकिन अंत मे जनता ने उनके कॉकस को तोड़ा और सपा के कासिम हसन को विधानसभा पहुंचाया। तब राधेश्याम गुप्ता के खिलाफ ब्राह्मण समाज की खासी नाराज़गी थी उनको हराने के लिए विधानसभा में एक समाजसेवी संगठन के द्वारा घर घर जाकर पर्चे भी बांटे गए थे। जबकि अपनी विधायक निधि को अपने ही विद्यालयों में खर्च करके वह चर्चा में भी आये थे। बुरी तरह हारने के बाद राधेश्याम गुप्ता की लंबी राजनीतिक पारी को जनता ने यहीं से विराम लगा दिया। हार के बाद दोबारा वह राजनीति में नहीं आये, उन्होंने अपने पुत्र विकास गुप्ता को राजनीति में सक्रिय किया। 2017 में मोदी की आंधी में विकास गुप्ता अयाह शाह सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे लेकिन जनता से किये गए अधिकतर वादे पूरे नही कर पाए। शायद यही वजह है कि उन्हें भी क्षेत्र में जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है। यही हाल लगभग खागा का भी नजऱ आ रहा है यह भी भाजपा की सुरक्षित सीट मानी जाती है लेकिन यमुना पट्टी के बाशिंदे आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। क्षेत्र के सैकड़ो गांवो में अभी पक्की सड़क भी नसीब नहीं है। लोधौरा गांव में ग्रामीणों ने कृष्णा पासवान के सामने भारी विरोध जताया और गांव से उन्हें बिना प्रचार किये बैरंग वापस लौटना पड़ा। इसी तरह खागा कस्बे में तहसील के वकीलों ने उन्हें तहसील से बाहर निकल जाने को कहकर मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस क्षेत्र में सड़कों की हालत तो सुधरी नहीं हां अवैध खनन व परिवहन को चार चांद जरूर लग गए। एक खदान संचालक ने तो विधायक पर खुलकर गुंडा टैक्स लेने के आरोप लगाए। दूसरी तरफ यह जिले की पहली विधायक हैं जो ओवरलोड़ पकड़वाने के लिए स्वयं खदानों में घुस गईं, अब ओवरलोड़ पकड़वाने के प्रति इतनी कर्मठता विधायक ने क्यों दिखाई थी यह आवाम शायद बेहतर जानती है। इसी क्षेत्र का एक अन्य वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमे एक बुजुर्ग विधायक का विरोध जताते हुए उनकी संपत्ति की जांच कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा जब पहली बार कृष्णा विधायक बनी तब उनके पास कुछ नहीं था, आज करोड़ो की संपत्ति कहां से आई जनता को जवाब दें। कुल मिलाकर अयाह शाह व खागा दोनो विधानसभा क्षेत्रों के लोग टूटी व जर्जर, दलदल युक्त सड़कों से परेशान हैं, बांदा को जाने वाला पुल आज भी अधूरा पड़ा है, गाजीपुर से विजयीपुर की सड़क नर्क में तब्दील है, अन्ना मवेशियो से किसान आजिज हैं, खनन क्षेत्र के गांवो में लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं ऐसे में अयाह शाह व खागा के जनप्रतिनिधियों की दोबारा विधानसभा पहुंचने की राह कठिन नजऱ आ रही है। विधानसभा हुसेनगंज क्षेत्र में भी अराजकता से जनता त्रस्त रही है क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि पांच वर्ष जमीनों में अवैध कब्जे, अवैध खनन, पशु तस्करी, लोगो को फर्जी मुकदमो में जेल भिजवाने से अधिक विधानसभा क्षेत्र में कुछ नही हुआ है। चमड़ा मंडी के संचालन में गोलीकांड तो आवाम को याद ही होगा, बेरागढीवा की जानवरो की मंडी किसकी है और पशु तस्करी का चढ़ावा कहां जाता है यह जिले व क्षेत्र की जनता बेहतर जानती है शायद यही वजह है हुसेनगंज क्षेत्र में पार्टी को जीत के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। हालांकि जनप्रतिनिधियों को यह भरोसा है कि कितना भी विरोध हो जनता मोदी के भाषण के बाद पांच वर्ष की कमियों को भूलकर नाराजगी भुला देगी और अपने क्षेत्र में कमल ही खिलाएगी।
- हाजी रजा समर्थक भी हुए मायूस, अखिलेश ने नहीं लिया नाम, अयूब को मिल सकता है फायदा
मुस्लिम इंटर कॉलेज के मैदान में अखिलेश की रैली में चार विधानसभा क्षेत्रों की भीड़ मौजूद रही, कार्यकर्ता उत्साह से लवरेज जरूर दिख रहे थे लेकिन चार विधानसभा की जनसभा में अपेक्षित भीड़ न पहुंचने से पार्टी के नेता चिंतित नज़र आये। वहीं बड़ी संख्या में पहुंचे हाजी रजा समर्थकों को भी मायूसी ही हासिल हुई। अखिलेश ने एक बार भी उनका नाम नहीं लिया और न ही उनके जेल जाने के प्रकरण का जिक्र किया। सभवतः अखिलेश को हाजी रजा का नाम लेने से बड़े वोटबैंक के नुकसान होने की संभावना थी। हाजी रजा का नाम न लेने से उनके समर्थकों में नाराज़गी रही, राजनीतिक जानकारों का मानना है इसका फायदा सीधे अयूब को मिल सकता है चूंकि नाराज़ चेयरमैन प्रतिनिधि के समर्थक अयूब की पाली में जाना ही पसंद करेंगे।
- बसपा व कांग्रेस भी तीन सीटों पर भारी, जीते न तो बिगाड़ देंगे समीकरण
2007 में उत्तर प्रदेश में बहुमत से सरकार बनाने वाली बीएसपी आज भले ही हासिये पर है मगर उसको हल्के में लेने की भूल अन्य पार्टियां करे तो पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा है। जिले की तीन सीटों पर अगर मतदाताओं ने साथ दिया तो बसपा भी विजय का डंका बजा सकती है, यही हाल कांग्रेस का भी है तीन सीटों पर वह भी लड़ाई में नजर आ रही है। वहीं अन्य सीटो पर अगर जीते न तो समीकरण किसी का भी बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में अभी यह कह पाना कतई अनुचित होगा कि मतदाता का झुकाव कहाँ है मगर यह निश्चित है कि मतदाता शांत है नतीजे चौकाने वाले भी हो सकते हैं।